भगवान मामाजी : किस्सा अल्टीमेट : मंतर बेद का !
#sumantpandya
भगवान मामाजी : किस्सा अल्टीमेट : मंतर बेद का !
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मेरी बचपन की यादों में बसे हैं अलवर रियासत के टहला गांव के भगवान मामाजी जो अपनी किस्सागोई के कारण अति लोकप्रिय थे . कोई पारिवारिक या कौटुम्बिक - सामुदायिक आयोजन हो लोग उनके किस्से सुनने को आस पास इकठ्ठा हो जाया करते थे . उनके किस्से तथ्यों पर आधारित और प्रामाणिक होते थे और और उनकी प्रस्तुति बेजोड़ होती थी .
आज सोचा था कि उनका सुनाया कोई किस्सा लगाऊंगा फेसबुक पर , पर कोई न कोई व्यवधान आता रहा पर अब शायद संभव हो जाए .
चेतावनी पाठक श्रोता के लिए :
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पहले ही चेताना मुनासिब होगा के जिसमें काशीनाथ सिंह के उपन्यास “ काशी का अस्सी “ पढने का जिगरा हो वही भगवान मामाजी का बयान किया किस्सा आगे सुने न तो रहने ही देवे आगे न पढ़े न बढे .
किस्से की पृष्ठभूमि :
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राज्य में देवस्थान विभाग नाम से एक अलग विभाग बन गया जिसके जिम्मे मंदिरों की व्यवस्था और प्रबंधन आया . इसी क्रम में विविध मंदिरों की देखभाल शुरु हुई . विभाग की ओर से पुजारियों को योग्यता और पात्रता देखकर प्रमाण पत्र दिए गए .
फिर क्या हुआ ?
होना क्या था इस सिलसिले में विभाग के अधिकारी विभिन्न मंदिर परिसरों का शासकीय दौरा करने लगे .
इसी क्रम में विभाग के एक आला अधिकारी ओझा जी एक गांव के मंदिर में पहुंचे और वहां के मंदिर के पुजारी पंडित जी के संपर्क में आए प्रमाण पात्र जारी करने के पहले ओझा जी और पंडित जी के बीच एक छोटा सा संवाद हुआ वही इस किस्से की जान है .
“ पंडित जी आप मंदिर में पूजा करते हो क्या कुछ मन्त्र आदि जानते हो अर्थात पूजा के मन्त्र …? ‘
पंडित जी पूरे आत्मविश्वास से जवाब में बोले :
“ महाराज मंतर तो मैं बेद का जाणूं छूं पण चौड़ा मैं न खै सकूं . “
अर्थात मन्त्र तो महाराज मैं वेद के जानता हूं पर उन मन्त्रों को पब्लिकली नहीं कह सकता .
ये मर्यादा भी उस समय के सोच के हिसाब से समझी जा सकती थी और इसी का नतीजा था कि ओझा जी ने अपने कान में मन्त्र सुनाने को कहा पंडित जी को .
फिर क्या था अवसर पाकर पंडित जी ने एक वेद मन्त्र कहा ओझा जी को जिसे सुनकर ओझा जी ने उनकी पात्रता प्रमाणित की .
पंडित जी बोले :
“ बामण की बामण खोटी करै बो बेटी चो….. “ 😊
मन्त्र का यही अग्रभाग काफी था ओझा जी के लिए पूरे मन्त्र का अभिप्राय समझने के लिए और तत्काल वो बोले अपने मातहदों से :
“ इन्हें आते हैं वेद - मन्त्र , इनका प्रमाण पत्र बना दीजिए . “
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समीक्षार्थ प्रस्तुत :
सुमन्त पंड्या .
@ गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .