Thursday, 16 June 2016

💐💐 अनायास .... सीरी मिल गया 💐💐

     

        अनायास ..... : सीरी मिल गया 💐

____________      #सीरी
#sumantpandya

____________   टी ए बिल बनाने में कौनसे वेद के मंतर पढ़ने पड़ते हैं पर बात की बात है अपन ने एक टेक धर दी कि बाबू लोग बनाते हैं टी ए बिल और हम तो खाली  दस्तखत कर दिया करते हैं . अब बाबू लोग का अपना रुतबा वो क्यों माने किसी चाहवे जिस की बात . कैसे सुलझा मामला , आज वही वाकया बताता हूं :

बात अटकी कहां पर थी ?
__________________वर्ष 1984 -85 के आस पास की ही बात है , राजस्थान यूनिवर्सिटी के कॉमर्स कालेज परिसर में सेन्ट्रल इवेलुएशन का पड़ाव ख़तम होने के बाद हम लोगों के रिलीव होने का मौक़ा था और बाबू लोगों ने हमें कोरे टी ए बिल थमा दिए थे भरने के लिए , उसी मौके पर उलझी थी गोट .
सच में मुझे पता नहीं था कि मेरा प्रतिदिन का डी ए क्या था , और भाड़ा तथा इन्सिडेंटल चार्जेज क्या कुछ दर्ज करने  थे इसीलिए यह बात आ गई थी . पर बाबू लोग किसी प्राध्यापक को क्यों गांठें .
तभी बात को और उलझाते हुए एक बाबू ने ये कह दिया :
" सामने दीख रहे कमरे में डी आर * साब बैठे हैं , आप तो उनसे हमारी शिकायत कर देवो , हम नहीं  बनाएंगे टी ए बिल , आप को खुद ही बनाना पडेगा ."
* डिप्टी रजिस्ट्रार.
मैंने भी तब तो कह दिया :" शिकायत ही करूंगा."
पर मुझे खुद लग रहा था कि अब अपनी शान में बट्टा ही लगने वाला है , कोई डी आर इन बाबू लोगों से वो काम नहीं करवा सकता जिसके लिए ये नट गए .
खैर मैं जाली का किंवाड़ ठेल कर उस कमरे में दाखिल हुआ जिधर बाबू लोगों ने बताया था . मुझे सामने पाकर यूनिवर्सिटी के अधिकारी के चेहरे पर चमक आ गई और वो बोला ," सुमन्त !"
मैं भी खुश हो गया , काहे के डी आर , ये तो अपना सीरी निकला .

सीरी के बाबत :
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सीरी का वास्तविक नाम श्री नारायण शर्मा , मेरे ननिहाल के गांव सकट का रहने वाला और राजस्थान कालेज का मेरा साथी डिबेट का जोड़ीदार था जो बी ए करने के बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी में काम करने लगा था .
वैसे गांव देहात की जुबान में सीरी का मतलब भी पार्टनर ही होता है .
वही सीरी अब डिप्टी रजिस्ट्रार हो गया था .

बात शुरु हुई :" अरे तेरे बाबू लोग एक टी ए बिल बना कर नहीं दे सकते मुझको ?"
सीरी बोला :" राजा, तेरा बिल मैं बनाऊंगा , बैठ ."

और ये कहकर कागजात उसने अपने हाथ में ले लिए .
उस दिन उसका 'राजा' कहकर बोलना मुझे आज भी याद आ जाता है .
रह गई टेक, बिल भी बनवाकर लाया , चाय भी पीकर आया .
उस दौर के तो और भी कई किस्से हैं पर अब समय नहीं है .......
.....फिर कभी सही .
प्रातःकालीन सभा स्थगित .
इति.
समर्थन :Manju Pandyaa

सुप्रभात.
Good morning.

सुमन्त पंड्या.
Sumant Pandya.
आशियाना आंगन, भिवाड़ी.
17 जून 2015.
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अपडेट :
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गए बरस भिवाड़ी में लिखी थी ये पोस्ट , आज फेसबुक ने याद दिलाया . जिस दौर का ये किस्सा है उसी दौर की कई एक मजेदार बातें हैं , उनपर भी पोस्ट बणाऊंगा पर अभी हाल कोई न कोई से पार्क जाना है अतः जिनने पहले न देखी होवे वो जरूर देखें ये पोस्ट .
फेसबुक पर तो डालूंगा ही इस तरज़ की पोस्ट ब्लॉग पर भी मांड देवूंगा .
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सुप्रभात .
Good morning.
- सुमन्त पंड्या .
@ गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .
  शुक्रवार 17 जून 2016 .

4 comments:

  1. बहुत शानदार कहानी

    वैसे कहावत है 'बाबू नहीं आते काबू'

    आपके bolg पर पहली बार विचरण कर रहा हूँ

    आपसे मिलूँगा जरुर एक दिन
    जब जयपुर आया तो
    प्रणाम

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    Replies
    1. फिर आए नहीं सुरेंद्र ? ख़ैर कोई बात नहीं , ख़ुश रहो ।🌹🌹

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