Sunday, 30 April 2017

छोले तुमको हम खिलाएंग़े ..... : जयपुर डायरी ।

तुझको चलना होगा . 


ये तो वाई फाई बाबत कहा है , आज न चला तो कल चलेगा अपन तो यों ही बात करते हैं .

पहले हाली का एक शेर :

"हाली खुदा का शुक्र कर , कुरबान जा मेहमान पर ,

वो खाना अपना खा रहा है , तेरे दस्तरखान पर ."

कोई आता है , खाना खाता है तो बड़ा अच्छा लगता है .

पर कभी कभी थोड़ी अटपटी बात हो जाती है 

.

" छोले तुमको हम खिलाएंगे ,.......बहुत बढ़िया बनाती है ."

भाई साब छोले ही खा रहे थे , जो खा रहे थे उसकी कोई तारीफ़ न कर के भाभी जी की पाक कला विद्या की तारीफ़ कर रहे थे .

अब मैं क्या कहता , मन मन में ही कहता रहा कि तारीफ़ थोड़ी बेमौके हो गई भाई साब , बिला वजह मुझे कुटवा दिया . जीवन संगिनी का बनाया खाना मानक लगे ये तो बहुत ही अच्छी बात है पर अपन कभी तो दूसरे की भी सराहना करें .

ऐसे ही बात याद आ गई थी .

विलंबित प्रातःकालीन सभा स्थगित .


समीक्षा :Manju Pandya


#छोलेतुमकोहमखिलाएंगे


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आज पुरानी बात याद करते हुए डूंगरपुर से सुप्रभात 🌻

नमस्कार 🙏


सुमन्त पंड़्या 

(Sumant Pandya)


पुनः प्रकाशित :


सोमवार १ मई २०१७ ।

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