Wednesday, 5 September 2018

फोकटिया ट्राल्स के बारे में : फ़ेसबुक डायरी .

फोकटिया ट्राल्स के बारे में -


जब से सोशल मीडिया पर ज़्यादा ज़्यादा लोगों का जमावड़ा होने लगा है ये प्रजाति बढ़ रही है और अभी हाल मेरा प्रयास इन्हीं के बाबत सावधान करने का है .

पेड़ ट्राल्स और फोकटिया ट्राल्स में थोड़ा फ़र्क़ है . जो पेड़ हैं उनका तो ये काम है , जैसा उनके संगठन के आई टी सैल से निर्देश मिलता है उनको कहीं न कहीं अटकना ही होता है , किसी की अच्छी भली कही बात को बिगाड़ना और शालीन संवाद में बाधा पहुंचाना इनका काम होता है . इनके बारे में अभी अधिक नहीं क़हूंगा सिवाय इसके कि इन्हें भी शिष्ट होना चाहिए , अगर भुगतान कम मिलता है तो अपने आकाओं से बात करें पर यहां तो तमीज़ से बात करें . जैसा मैंने ऊपर कहा आज की मेरी बात फोकटियाओं के बारे में है .


कौन हैं ये लोग ? 

ये अच्छे भले मेरे आपके जैसे लोग हैं . मेरा मानना है कि इन्हें मिलता तो कुछ नहीं पर इनको सोशल मीडिया पर दीखने की , दिखाई देने की ललक होती है और वो ये लोग इबारत टीप कर हसरत पूरी करते हैं . एक ख़ास तरह की ऐसी इबारत टीपना इनको रास आता है जो इनकी व्यक्ति पूजा की धारणा से मेल खाती है . कभी कभार मेरी ऐसे लोगों से बात भी होती रही है पर वो अपनी बात को आगे इसलिए नहीं समझा पाते क्योंकि मूल इबारत ही टीपी हुई होती है . भला उस बात को वो आगे क्या समझाएँगे . पता नहीं जानबूझकर या कभी कभी अनजाने में ऐसे लोग ही फेंक न्यूज़ को फैलाने में मददगार हो जाते हैं .


ये फोकटिया ट्राल्स साझा नहीं करते किसी की पोस्ट , स्रोत नहीं बताते जानकारी का ये तो टीपते हैं और जताते हैं ऐसे जैसे बात इनने ही लिखी है . एक ही इबारत कई जगह दीखती है तो क़लई तो खुल जाती है पर बात चली क़हां से ये कभी पता नहीं लग पाता . उन्हें ये इबारत क़हां से हाथ लगी ये मुझे निजी रूप से बता भी देते हैं पर गंगोत्री का गौमुख क़हां है ये तो इन्हें भी पता नहीं होता . ये तो बहती गंगा में हाथ धोने वाले लोग हैं .

आज के लिए ऐसे ही फोकटिया ट्राल्स का अभिनंदन .🌷

गए बरस की एक पोस्ट है जिसे आज ब्लॉग पर प्रकाशित कर रहा हूं , गए बरस से अब तक ये अभिनंदनीय समुदाय बहुत बढ़ गया है , आपको सावधान करने को ही दोहराईं है ये बात .

प्रकाशन और लोकार्पण    @ जयपुर  ६ सितम्बर २०१८.


Tuesday, 4 September 2018

अभी तो कुछ पढ़ा नहीं .

" अभी तो कुछ पढ़ा नहीं .....और एक पारी समाप्त भी हो गई ."


कल सोचा था शिक्षक दिवस पर शिक्षा जगत का पहला अनुभव साझा करूंग़ा पर सारा दिन राम रामी में ही बीत गया . दस बजने आए मेरे फ़्यूज होने का समय आ गया अब कुछ तो क़हूं रिटायर होने से पहले .


अक्षर ज्ञान और जोशी बाबा :

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चार बरस की उमर में जोशी बाबा के पास ले जाया गया था घर के ठीक सामने जंगजीत महादेव की छत पर ज़हां जोशी बाबा पढ़ाया करते थे . उन्होंने ही पूरी वर्णमाला और आरम्भिक गणित सिखाई . ये कक्षा एक मंदिर की छत पर जरूर होती थी पर ये कोई धार्मिक शिक्षा नहीं थी , सामान्य शिक्षा ही थी .

गए दिनों जीजी ने मुझे बताया , जीजी को तो मेरा बचपन याद है ही , कि अक्षर बनाने के लिए मेरे हाथ में पेंसिल किसी को सहारा देकर पकड़ना नहीं पड़ता था जोशी बाबा मुझसे ख़ुश रहते थे .


मंदिर की छत पर जाने आने के लिए थोड़ी ऊँची और बेढ़ब सीढ़ियाँ थीं , मैं शारीरिक रूप से कमज़ोर बच्चा था , और बच्चे ज़हां कूदते फाँदते ये सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आ जाते जोशी बाबा मेरा तो विशेष ख़याल रखते और आख़िर में जब वे छत से उतरते तो मुझे उनके हाथ की ऊँगली पकड़कर नीचे आना होता .

कक्षा का समापन प्रतिदिन समूह के साथ पहाड़े बोलकर ही होता .


इस तरह मुझे पहला दिन और पहली कक्षा आज तलक याद है .


रात्रि क़ालीन सभा अनायास स्थगित ....।।।


भिवाड़ी 

५ सितम्बर २०१७ .

गए बरस की आज की स्टेटस ब्लॉग पर साझा   @ जयपुर  ५ सितम्बर  २०१८.