कल सोचा था शिक्षक दिवस पर शिक्षा जगत का पहला अनुभव साझा करूंग़ा पर सारा दिन राम रामी में ही बीत गया . दस बजने आए मेरे फ़्यूज होने का समय आ गया अब कुछ तो क़हूं रिटायर होने से पहले .
अक्षर ज्ञान और जोशी बाबा :
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चार बरस की उमर में जोशी बाबा के पास ले जाया गया था घर के ठीक सामने जंगजीत महादेव की छत पर ज़हां जोशी बाबा पढ़ाया करते थे . उन्होंने ही पूरी वर्णमाला और आरम्भिक गणित सिखाई . ये कक्षा एक मंदिर की छत पर जरूर होती थी पर ये कोई धार्मिक शिक्षा नहीं थी , सामान्य शिक्षा ही थी .
गए दिनों जीजी ने मुझे बताया , जीजी को तो मेरा बचपन याद है ही , कि अक्षर बनाने के लिए मेरे हाथ में पेंसिल किसी को सहारा देकर पकड़ना नहीं पड़ता था जोशी बाबा मुझसे ख़ुश रहते थे .
मंदिर की छत पर जाने आने के लिए थोड़ी ऊँची और बेढ़ब सीढ़ियाँ थीं , मैं शारीरिक रूप से कमज़ोर बच्चा था , और बच्चे ज़हां कूदते फाँदते ये सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आ जाते जोशी बाबा मेरा तो विशेष ख़याल रखते और आख़िर में जब वे छत से उतरते तो मुझे उनके हाथ की ऊँगली पकड़कर नीचे आना होता .
कक्षा का समापन प्रतिदिन समूह के साथ पहाड़े बोलकर ही होता .
इस तरह मुझे पहला दिन और पहली कक्षा आज तलक याद है .
रात्रि क़ालीन सभा अनायास स्थगित ....।।।
भिवाड़ी
५ सितम्बर २०१७ .
गए बरस की आज की स्टेटस ब्लॉग पर साझा @ जयपुर ५ सितम्बर २०१८.
आज फिर दोहरा रहा हूं ये ब्लॉग पोस्ट ।
ReplyDeleteशिक्षक दिवस ५ सितम्बर २०१९.