Tuesday, 28 May 2019

ठकुर सुहाती 

कपिल ( Kapil Bhatt ) ने कल पूछा


"फूफाजी एक शब्द याद आ रहा है। ठकुरसुहाती । आप से आज के परिप्रेक्ष्य में मार्गदर्शन की जरूरत है। प्रणाम।"


मैं बोला 

" कपिल सब तरफ इसी राह पर तो चल रहे हैं मीडिया के लोग अब मैं और क्या कहूं ।"

और कपिल का कहना था ;

मीडिया तो अब.....क्या कहूं। अस्थि विसर्जन हो गया है । बस।

कपिल 

भतीजे ने सोचने पर मजबूर कर दिया। कुछ न कुछ तो और क़हूं इस बारे में ।

ठकुरसुहाती कहने में हिंदी पट्टी के अख़बार और टी वी मीडिया सभी तो लहालोट हैं ऐसे में सवाल में ही जवाब छिपा है कपिल मैं और कुछ अतिरिक्त जोड़ने की ज़रूरत नहीं समझता । मीडिया का लम्बा अनुभव है कपिल को और वो सिर्फ मेरा मान रखने को सवाल पूछता है इसी में मुझे एक उम्मीद की किरण दिखाई देती है ।


अभी अग्रज मोहन श्रोत्रिय की एक पोस्ट देखी उसमें राजनीतिक दलों के लिए सलाह है , बात भी ठीक है :

देखना है आगे क्या होता है ।


"किसी भी राजनीतिक दल को, जो अपना काम बिना ध्यान बंटाए करना चाहता है, मीडिया का बहिष्कार कर देना चाहिए। 

अपने प्रवक्ता भेजना बंद कर देना चाहिए!


सरकार को समर्पित मीडिया आपके किसी काम का नहीं है!

आपका काम जनता को दिखना चाहिए, उसे ही महसूस भी करना चाहिए। "


अभी तो बात छेड़ी है , बात आगे चलेगी ….


खुश रहो कपिल ।


Saturday, 27 April 2019

बाबा की याद 

एक ग्रुप फ़ोटो से ली गई  बाबा मदन जी महाराज की फ़ोटो ।
और ये अपण 
ट्रायल एरर किए जा रहे हैं ।

शुभ रात्रि ।

Wednesday, 17 April 2019

आप क़हां रहते हैं सर ?

" आप क़हां रहते हो सर ?"

नए बने फ़ेसबुक फ़्रैंड पूछते हैं बजरिए मैसेंजर , और मैं कहता हूं कि प्रोफ़ाइल पर सब लिखा तो है । फिर मेरी उमर पूछते हैं , ग़ोया वो भी वहां दर्ज है पर उन्हें तो पूछने से मतलब और आख़िर में तो वीडियो काल ही करने लगते हैं बार बार ।
अब फ़्रैंड रिक्वेस्ट मानी है तो भुगतो और क्या ।
पर कोई बात नहीं बिना बात खोटी करने वाले ट्राल्स से तो ऐसे भोले फ़ेसबुक फ्रैंड्स कहीं अच्छे हैं ।
तो अभी हाल का स्टेटस यही है कि @ भिवाड़ी . बाक़ी बायो डेटा प्रोफ़ाइल पर नए बने दोस्तों के लिए ।
ये पोस्ट न्यूज़ फ़ीड में आई तो मेरे भतीजे सिद्धार्थ ने एक टिप्पणी यहां जोड़ीं वो भी देखने लायक है ।
वो कहता है :

"  सरजी हाल ही छपास की रोगी एक महिला नेत्री मैसेंजर तथा वाट्सअप पर प्राण पी गई । आप कौन से अखबार में है। अखबार में क्या करते है। कितने साल से है।हर बार मेरा एक ही जवाब। आप प्रोफाइल चैक कर ले । लेकिन उस वीरांगना ने भी सौगंध खा रखी थी । फिर आ गई मैसेंजर मे।आखिर मुझे ही उसे अलवर की संस्कृति की झलक दिखानी पडी । तब जा कर पार पडी । "
आई गई और टिप्पणी भी जोडूंग़ा ।
नमस्कार  🙏
कोशिश की कि एक फ़ोटो भी अपलोड करूं पर वो सम्भव न हो पाया । ख़ैर कोई बात नहीं ऐसे सही ।