Saturday, 18 June 2016

💐💐 बनस्थली में मेरा घर : विशिष्ट अतिथि का आगमन ( 2 )

   

    44 रवीन्द्र निवास : बनस्थली में मेरा घर : विशिष्ठ अतिथि का आगमन - ( 2 )
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#बनस्थलीडायरी     #जेटलीसाब

आगे का वृत्तांत . 💐💐

14 अगस्त को  ये संस्मरण लिखना आरम्भ किया था , बीच में दो दिन का टाइम आउट ले लिया , उसकी कैफियत फिर कभी , आज उस बात को आगे बढ़ाता हूं .     - सुमन्त.
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उस रात गौतम लिवा लाए और जेटली साब और श्रीमती जेटली 44 रवीन्द्र निवास आ गए और ऐसे निश्चिन्त हो गए जैसे अपने ही स्थान पर आ गए हों, मैं तो वहां था ही गौतम भी उस रात वहीँ रहे , उनको कोई असुविधा न हो इस बात का खयाल रखने को . वो तो यहां आकर ठहरने का विचार पहले ही व्यक्त कर चुके थे .

इस घर में   गृहिणी उपस्थित नहीं थी और भोजन की संभवतः काम चलाऊ व्यस्था ही थी . वो लोग मेहमान घर से पहले ही चले आए थे अन्यथा रात का भोजन वहां हो सकता था. अब समस्या यह दरपेश थी कि चार लोगों के भोजन की क्या व्यवस्था हो .  एक युवा गृहिणी नहीं थी तो क्या हुआ अब मां आ गई थी और इस बात का जिम्मा उन्होंने ले लिया .

मम्मी ( श्रीमती जेटली ) ने रसोई में पहुंचकर मुझे उस क्षेत्र से लगभग निष्कासित कर दिया , पिता श्री ( जेटली साब ) कमरे में बैठे , मैं और गौतम छत पर शयन स्थल की व्यवस्था करने चले गए , मौसम को देखते हुए वही उचित था . बिस्तर बिछ गए , ठंडे होने लगे , हम लोग फिर नीचे आ गए .

उस रात का मीनू .
-----------------               निष्कासित होने के बाद मैं तो रसोई में कोई मदद कर ही नहीं सकता था . मम्मी ने खुद ब खुद किसी डब्बे से  मंगोड़ी ढूंढ निकाली , मसाले , घी , आटा ढूंढ लिया . छोटे मोटे  रसोई के उपकरण जैसे तवा , चिमटा , चकला - बेलन ,परात , सास पैन और सबसे महत्वपूर्ण गैस कनेक्शन थे ही . इन्हीं साधनों और उपकरणों की मदद से मंगोड़ी , आलू टमाटर की रसे दार सब्जी और गरमा गरम रोटियां बना डाली . कुछ एक थाली कटोरियाँ चम्मच भी थे ही मेरी नई गृहस्थी की रसोई में .
मौसम के तापमान को देखते हुए माता पिता दोनों भोजन लिए छत पर पहुंचे  और जेटली साब ने आवाज दी :

" आओ बच्चों खाना खा लो."

हम दोनों, मैं और गौतम , नीचे ये देख रहे थे कि गौतम रात यहां रुकेंगे तो बदलने को कोई और कपड़ों का जोड़ होवे . पर कुल मिलाकर गौतम को उस रात  एक अंगोछा रास आया वो उन्होंने लपेट लिया और ऊपर जाकर हम भोजन में शामिल हो गए .
उस दिन कई दिनों के बाद हम दो दोस्तों ने मां के हाथ का खाना खाया .
ये सारी संयोगों से  हुई बातें हैं .

अभी बात बाकी रही पर टाइम आउट .
बात क्या बाकी रही बहुत ख़ास बात बाकी रही , इस अधूरी बात को ही स्वीकार कीजिए .

सुप्रभात

प्रातःकालीन सभा स्थगित.....
सह अभिवादन Manju Pandyaya

सुमन्त पंड्या .
गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .
17 अगस्त 2015 .

Thursday, 16 June 2016

💐💐 अनायास .... सीरी मिल गया 💐💐

     

        अनायास ..... : सीरी मिल गया 💐

____________      #सीरी
#sumantpandya

____________   टी ए बिल बनाने में कौनसे वेद के मंतर पढ़ने पड़ते हैं पर बात की बात है अपन ने एक टेक धर दी कि बाबू लोग बनाते हैं टी ए बिल और हम तो खाली  दस्तखत कर दिया करते हैं . अब बाबू लोग का अपना रुतबा वो क्यों माने किसी चाहवे जिस की बात . कैसे सुलझा मामला , आज वही वाकया बताता हूं :

बात अटकी कहां पर थी ?
__________________वर्ष 1984 -85 के आस पास की ही बात है , राजस्थान यूनिवर्सिटी के कॉमर्स कालेज परिसर में सेन्ट्रल इवेलुएशन का पड़ाव ख़तम होने के बाद हम लोगों के रिलीव होने का मौक़ा था और बाबू लोगों ने हमें कोरे टी ए बिल थमा दिए थे भरने के लिए , उसी मौके पर उलझी थी गोट .
सच में मुझे पता नहीं था कि मेरा प्रतिदिन का डी ए क्या था , और भाड़ा तथा इन्सिडेंटल चार्जेज क्या कुछ दर्ज करने  थे इसीलिए यह बात आ गई थी . पर बाबू लोग किसी प्राध्यापक को क्यों गांठें .
तभी बात को और उलझाते हुए एक बाबू ने ये कह दिया :
" सामने दीख रहे कमरे में डी आर * साब बैठे हैं , आप तो उनसे हमारी शिकायत कर देवो , हम नहीं  बनाएंगे टी ए बिल , आप को खुद ही बनाना पडेगा ."
* डिप्टी रजिस्ट्रार.
मैंने भी तब तो कह दिया :" शिकायत ही करूंगा."
पर मुझे खुद लग रहा था कि अब अपनी शान में बट्टा ही लगने वाला है , कोई डी आर इन बाबू लोगों से वो काम नहीं करवा सकता जिसके लिए ये नट गए .
खैर मैं जाली का किंवाड़ ठेल कर उस कमरे में दाखिल हुआ जिधर बाबू लोगों ने बताया था . मुझे सामने पाकर यूनिवर्सिटी के अधिकारी के चेहरे पर चमक आ गई और वो बोला ," सुमन्त !"
मैं भी खुश हो गया , काहे के डी आर , ये तो अपना सीरी निकला .

सीरी के बाबत :
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सीरी का वास्तविक नाम श्री नारायण शर्मा , मेरे ननिहाल के गांव सकट का रहने वाला और राजस्थान कालेज का मेरा साथी डिबेट का जोड़ीदार था जो बी ए करने के बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी में काम करने लगा था .
वैसे गांव देहात की जुबान में सीरी का मतलब भी पार्टनर ही होता है .
वही सीरी अब डिप्टी रजिस्ट्रार हो गया था .

बात शुरु हुई :" अरे तेरे बाबू लोग एक टी ए बिल बना कर नहीं दे सकते मुझको ?"
सीरी बोला :" राजा, तेरा बिल मैं बनाऊंगा , बैठ ."

और ये कहकर कागजात उसने अपने हाथ में ले लिए .
उस दिन उसका 'राजा' कहकर बोलना मुझे आज भी याद आ जाता है .
रह गई टेक, बिल भी बनवाकर लाया , चाय भी पीकर आया .
उस दौर के तो और भी कई किस्से हैं पर अब समय नहीं है .......
.....फिर कभी सही .
प्रातःकालीन सभा स्थगित .
इति.
समर्थन :Manju Pandyaa

सुप्रभात.
Good morning.

सुमन्त पंड्या.
Sumant Pandya.
आशियाना आंगन, भिवाड़ी.
17 जून 2015.
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अपडेट :
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गए बरस भिवाड़ी में लिखी थी ये पोस्ट , आज फेसबुक ने याद दिलाया . जिस दौर का ये किस्सा है उसी दौर की कई एक मजेदार बातें हैं , उनपर भी पोस्ट बणाऊंगा पर अभी हाल कोई न कोई से पार्क जाना है अतः जिनने पहले न देखी होवे वो जरूर देखें ये पोस्ट .
फेसबुक पर तो डालूंगा ही इस तरज़ की पोस्ट ब्लॉग पर भी मांड देवूंगा .
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सुप्रभात .
Good morning.
- सुमन्त पंड्या .
@ गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .
  शुक्रवार 17 जून 2016 .

Monday, 13 June 2016

अटकळ से ली गई सेल्फ़ी , अब जैसी भी आई डाल दी ब्लॉग पर और तो क्या करता !

ये तब की बात है जब आई टैब मिनी हासिल नहीं हुआ था  और मैं टैब से कुछ अटकलपच्ची करता रहता था , संग्रह से ली गई फ़ोटो जड़ने पर पोस्ट फ़ेल हो जाया करती थी । अपण भी लगे रहते  और हुआ ये कि फ़्रंट कैमरा से अपनी ही फ़ोटो ले डाली । जैसी भी थी कर दी अपलोड और क्या करता ।
अब दोहराऊँगा अपना तकिया कलाम :
" ये तो बार की बात छै माट साब फेर तो  थे जाणो ......" 😊