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इधर जब से भिवाड़ी आए हैं हम लोग बाज पोस्ट में , न तो कमेंट में मैं ये घंटी की चिकसाणी ( निशान ) बणा देता हूं जिससे मेरे लिखे की पिछाण रहवे . आज ये ही सवाल उठाता हूं कि ‘ ये घंटी क्या है ?’
पहले एक बात
-------------- ये एक अध्यापिका की बताई बात है जब वो एक प्रशिक्षण के लिए गईं तब हवाई जहाज से यात्रा करके आईं . पहली उड़ान का उनको कैसा अनुभव हुआ वही उन्होंने अपने रोचक अंदाज में बताया था , शेष सन्दर्भ छोड़कर सीधे मुद्दे पर आते हैं :
" जब प्लेन उड़ने लगा तो जाने कैसे कैसे हुआ ! पहले ऐसे ऐसे हुआ , फिर वैसे वैसे हुआ , जाने कैसे कैसे हुआ ! "
बस लगभग ये ही बात तो अपणे साथ है पहले ऐसे ऐसे होता है , फिर वैसे वैसे होता है , जाणे कैसे कैसे होता है और सुबह सुबह ये घंटी बज जाती है अपणे आप और नींद खुल जाती है वो भी अपणे आप .
तो मान लीजिए ये सिद्धांत :
" सुबह की जगार का प्रतीक है ये घंटी . 🔔🔔"
ये अपने आप ही बजती है , अंदर से बजती है और मैं सुबह उठ जाता हूं बस इत्ती सी बात है .
फिर सुबह सुबह की एक और टेक है :
" Good morning & private coffee done @ आशियाना. 🔔"
ऐसे संदेसे मैं चारों ओर भेजता हूं , ये ही मेरे जन जागरण के सन्देश होते हैं . दूर दूर से जगार के संकेत और सन्देश मिलने लगते हैं . जो किसी दिन इसमें चूक जाऊं तो लोग ये सवाल करने लगते हैं :
" Private coffee not yet done ? "
इस प्रकार ये घंटी और कॉफी का भी निकटवर्त्ती सम्बन्ध है .
तो सुबह सुबह के ये दो काम हैं :
१. घंटी बजती है . 🔔
२. कॉफी बणती है .☕️
और यहीं से होती है अपनी सोशल मीडिया पर उपस्थिति दर्ज .
आज यही प्रातःकालीन सभा का प्रस्थान बिंदु है ।
अभी हाल के लिए सभा स्थगित ….।
नमस्कार
सुमन्त पंड्या .
@ आशियाना आँगन , भिवाड़ी .
शुक्रवार ३ फरवरी २०१७ .
आज एक लम्बी खोज के बाद ब्लॉग पर प्रकाशित @ जयपुर १३ नवम्बर २०१८ ल
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