अब इस सवाल का मैं क्या जवाब देता भला ।
सोशल मीडिया का कई लोग ये इस्तेमाल करते और समझते हैं कि कुछ फ़ोटो वोटों जोड़ देवें और हो गई जै राम जी की और मेरी टेक है कि फ़ोटो जोड़ो तो जोड़ो और साथ में कुछ न कुछ मांड़ देओ साथ में ।
हां ये ज़रूर है कि मैं बोलता ज़्यादा हूं और मांडता कम हूं ।
उपकरणों से मांडने में ये दिक़्क़त भी आती है कि ‘ ऊक चूक लिखा चला जावे .’ देखिए गए बरस की बात :
“ ऊक चूक लिखा चला जावे !
अब ये तो आज का ही वाकया है किसी ने मैसेज भेजा था गुड ईवनिंग का और जवाब चला गया गुड मॉर्निंग का । अगले ने समझा तो मुझे मूरख ही होगा पर शिष्टाचार वश सन्देश का जवाब ये भेजा के मज़ाक कर रहे हो क्या । और तब गया मेरा ध्यान कैना ये उपकरण , अगर छूने में जरा सी गड़बड़ी हो जाए तो , क्या का क्या कर डालते हैं ।
ये सब कुछ बेलगाम घोड़े पर बैठने जैसा है ।
थोड़ी सी असावधानी से आपकी कही अच्छी भली बात का गुलगपाड़ा हो सकता है ।
रात साढ़े दस के आस पास तो वैसे ही मैं फ्यूज़ होणे लगता हूं तो असावधानी में क्या का क्या चला जाए मेरे नाम से कुछ पता नहीं ।
आज कोई नए सिरे से पोस्ट नहीं लिखी थी सो अपवाद रूप में ये बेटैम पोस्ट लिखी है , बाकी मेरा तो कुछ मांडने का टैम सुबह का ही होता है ।
सुबह भेंट होगी प्राइवेट कॉफी के साथ ।”
सुमन्त पंड्या
दिल्ली
—-और तिस पर मेरे अभिन्न मित्र गोविंद राम जी की ये टिप्पणी :
“ बहुत सुन्दर..
रात 11 बजे भी आप कितने जागरूक हैं कि शत प्रतिशत होशों हवास में रहकर सच ही सोचते और करते हैं अन्यथा ज्यादातर तो कनफ्यूज हो जाते हैं कि "यह संसार है भी या नहीं "... "मैं कहां हूं" और बिस्तर में निढाल होकर गिर जाते हैं..
"आपका कोई जबाब नहीं".. बार बार हम यही कहेंगे कि आप "मांडते" बहुत सुन्दर हैं..”
ऐसे ही मित्रों की मदद से सोशल मीडिया पर आता जाता रहता हूं ।
गुलमोहर कैम्प , जयपुर से सुप्रभात ☀️
नमस्कार 🙏
गुरुवार २४ मई २०१८ .