ब्लॉग और फोटो का तालमेल : आज का स्टेटस अपडेट
आज से ठीक एक बरस पहले ये ब्लॉग पोस्ट यहां जोड़ी थी जिसका ब्लॉग लिंक आज फिर जोड़ रहा हूं और इसी बहाने से कुछ और बात भी क़हूंगा । सबसे पहले अपने ब्लॉग के बारे में जिसका शीर्षक है ," " रवीन्द्र निवास से गुलमोहर " तब मैं जस तस फ़ेसबुक पर आई रही पोस्ट को ब्लॉग पर तो मांड देता था पर मुझे ब्लॉग लेखन के तौर तरीक़ों का न तो ज़्यादा ज्ञान था और न ही मैं अपने लिखे का ठीक से सम्पादन कर पाता था । कभी कभी तो अपने ब्लॉग तक पहुंच पाना भी सम्भव नहीं होता था और उसी दौर में मैंने एक पोस्ट लिखी थी , " अपने ही घर का पता पूछते हैं ।" और भी कई एक बातें हैं , बिना बात सारी पोस्ट को बोल्ड और इटालिक्स में मांड़ देता और इमोज़ी लगा देता । तब से अब मैं इन बातों को कुछ बेहतर समझने लगा हूं ।
ब्लॉग के साथ फ़ोटो अपलोड कर पाना मेरे लिए सम्भव नहीं हो पाता था और लिखी लिखाई पोस्ट रिजेक्ट हो जाया करती थी ।उसी दौर में एक नामचीन सम्पादक की इस राय ने मेरा उत्साह वर्धन किया कि लोग मेरा लिखा गद्य पढ़ना पसंद करते हैं और मुझे उनको कोरी फ़ोटोओं से टरकाना नहीं चाहिए । फ़ेसबुक पर तो मैं फिर भी फ़ोटो जोड़ देता था ब्लॉग पर तो मैं शब्द चित्र ही उकेरने लगा था । चार बरस से फ़ेसबुक पर हज़ार से ज़्यादा पोस्ट लिखी उन्हें धीरे धीरे ब्लॉग पर जोड़ने का प्रयास अब करता रहता हूं । अब नए उपकरण की मदद से ब्लॉग पर फ़ोटो जोड़ना भी यदा कदा सम्भव हो जाता है पर इस विधा को अभी भी सीख रहा हूं यही क़हूंगा । फ़ोटो से ज़्यादा ज़रूरी है इबारत ये मैं भी मानता हूं ।
आज एक बात और क़हूं -
मैसेंजर और इन्बॉक्स में और तो और वाट्सएप के ज़रिए ( जिसके पास भी मेरा नम्बर हुआ ) अब बहुत संदेश आने लगे हैं । अच्छा तो बहुत लगता है पर ये मेरी ही असमर्थता क़हूंगा कि उस गति से प्रत्युत्तर नहीं दे पाता । आशा है आप अन्यथा नहीं लेवेंगे यदि उत्तर समय पर न मिले । मेरे कुछ चाहने वाले भोले लोग समय असमय वीडियो काल भी कर देते हैं जिन्हें मैं कभी कभी सिक़र नहीं पाता । मैं ऐसे लोगों के प्रेम से अभिभूत हूं । एक बात साफ़ कह देवूं कि मेरी सूरत वही है जो आज की प्रोफ़ाइल पिक्चर में है । आप से पूछकर ही तो आज सुबह जोड़ी है ।अब वीडियो काँफ्रेंसिंग न हो पावे तो कोई बात नहीं ।
ऐसी भी क्या बात है किसी दिन ये विद्या सीखकर लाइव हो जावूँगा तो इस बात की भी आंशिक पूर्ति हो जाएगी ।
और बहुत सी बातें हैं कहने की , ये बातें कभी पूरी थोड़े ही होती हैं , पर अब उपलब्ध समय समाप्त हो रहा है ।
अतः प्रातःक़ालीन सभा स्थगित …..
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