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बनस्थली की कहावतें: बैद जी झंडा बांधेंगे .
कुछ बातें एक समय में कही जाकर कालान्तर में कहावत बन जाती हैं . जन मानस की स्मृतियों में कुछ समय तक कथा का इतिहास बाकी रहता है , आगे कहावत चल पड़ती है कथा भूल में पड़ जाती है , ऐसा ही एक वाकया है जिससे कहावत चल पड़ी ," बैद जी झंडा बांधेंगे ."
कहावत का उद्भव और विकास :
किसी उत्सव , संभवतः वार्षिकोत्सव पर जिम्मेवारी बांटने के दौर में उस समय के वैद्यजी को झंडा बांधने की जिम्मेवारी सौंपी गई और यह उनका आवर्ती प्रभार बन गया . जब भी कोई उत्सव होता वैद्य जी ही झंडा बांधते होते . वैद्य जी को झंडा बांधना इसलिए आता था क्योंकि स्कॉउट होने के नाते उन्हें अपने बचपन में यह प्रशिक्षण मिला था . आयुर्वेद की उनकी शिक्षा से उनके इस हुनर का कोई सम्बन्ध न था .
कहावत मुकम्मल तब हुई जब वैद्य जी अपना सेवाकाल समाप्त कर परिसर से चले गए , दूसरे वैद्य जो उनके सामने ही आ चुके थे अब कमला नेहरू अस्पताल में आयुर्वेद प्रभाग के अकेले प्रभारी बन गए .
वार्षिक उत्सव पर जब ड्यूटी चार्ट बनने लगा तो पिछले वार्षिक उत्सव का चार्ट देखकर बाबू लोगों ने इन वैद्य जी की ड्यूटी लगा दी झंडा बांधने की .
अपना ड्यूटी चार्ट देखकर वैद्य जी दफ्तर में पहुंचे और अपनी असमर्थता बताई कि उन्हें झंडा बांधना नहीं आता था . झंडा बांधना भी एक कला है , एक ख़ास तरह से झंडा लपेट कर रस्सी से बांधा जाता है और रस्सी खींचने पर झंडा खुल जाता है , उसमे लिपटे फूल बिखर जाते हैं , ये सब वैद्य जी को नहीं आता था . पर इससे क्या , दफ्तर वालों ने तो मान रखा था " बैद जी झंडा बांधेंगे "
वैद्य जी गए कहने कि वे झंडा नहीं बांध पायेगे .
जवाब मिला कि हमेशा ही बैद जी झंडा बांधते आए हैं , आप कैसे नहीं ?
लिखा है " बैद जी झंडा बांधेंगे ."
मैं ऐसे प्रभार के लिए कहता हूं ' पदेन बाध्यकारी. '
मैं जब बनस्थली पहुंचा था तब कमला नेहरू अस्पताल में बड़े वैद्य जी और छोटे वैद्य जी दोनों साथ साथ बैठते थे . कागजी कारवाही निमित्त हरि भाई मेडिकल आफिसर के रूप में काम देखते थे . 14 अरविन्द निवास में अस्पताल वालो की ओर से बड़े वैद्य जी की विदाई पार्टी हुई उसमे मैं भी सम्मिलित हुआ था .
किसी पर आने वाले पदेन बाध्यकारी आवर्ती प्रभार के लिए बनस्थली परिसर में कहा जाने लगा: " बैद जी झंडा बांधेंगे . "
कहावत शायद अब भी परिसर में प्रचलित होगी , मैंने तो केवल कलमबद्ध किया है .
बनस्थली डायरी के आगामी संकलन में सम्मिलित होने वाले संस्मरणों में से एक ये भी होगा ।
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