मेरा नानगा याने नानगराम :
---------------------------- मेरे बचपन की यादों से जुड़े हुए प्रिय पात्रों में से एक है नानगा . उसे गृह सेवक कहना तो बहुत कम आंकना होगा वो तो हमारे परिवार का सदस्य ही था और आजीवन वही रहा . वह पूरी तरह साक्षर भी नहीं था पर विलक्षण थी उसकी बुद्धि और विट के मामले में उसका कोई सानी नहीं हो सकता था .
काकाजी * के जाने के बाद वो पूरे एक वर्ष भी जीवित न रहा , उन्नीस सौ अस्सी में तो उसका स्वर्गवास ही हो गया . हमारे घर में आने जाने वाले किसी व्यक्ति ने उसके लिए शायद सही ही कहा कि इस घर में तो वो काकाजी की सेवा करने को ही आया था , वो भी उनके पीछे पीछे चला गया .
मेरे अपने लोग प्रायः सुझाव देते है कि मैं किस बाबत पोस्ट लिखूं , लोकेश का ये सुझाव कई दिन से पेंडिंग है कि नानगा के बारे में लिखा जाना चाहिए . पर मैं भी क्या करूं , इन प्रसंगों को याद कर मैं रोने लगता हूं और लिखना करना मुश्किल हो जाता है .
पिछले दिनों नानगा का बड़ा बेटा शंकर यहां आया तो वो ही पुरानी यादें ताजा हो गईं . नानगा तो एक ऐसे समय में चला गया कि उसका चित्र मेरी यादों में ही है फोटो कोई उपलब्ध नहीं है . जीवन संगिनी ने शंकर का फोटो लिया अपने मोबाइल के कैमरे से .
नानगा शिव भक्त था और तदनुरूप ही उसके दोनों बेटों के नाम हैं - शंकर और कैलास . शंकर को अगर फैंटा पहना दो और एक चश्मा पहना दो तो हू ब हू नानगा लगेगा . इसी लिए शंकर का फोटो इस पोस्ट के साथ जोड़ने का प्रयास करूंगा .
नानगा के बारे में मैं आसानी से बात पूरी नहीं कर पाऊंगा . मेरे भाई बहन इसमें बहुत बातें जोड़ पाएंगे . कैसे नानगा यहां हमारे घर में आया और उसके जीविकोपार्जन घर परिवार की एक लंबी कहानी है . कोई भी समझदार व्यक्ति उसके जीवन और कृतित्व से शिक्षा ग्रहण कर सकता है , ऐसा रहा नानगा का जीवन .
आज की पोस्ट अधूरी तो कही जाएगी पर मैं मजबूर हूं .
शंकर और कैलास को उनके भरे पूरे परिवार को आशीर्वाद .
प्रातःकालीन सभा स्थगित .
( क्रम जारी रहेगा.....)
* काकाजी हमारे पिता श्री मुकुंद राम पंड्या .
मेरी प्रेरक : Manju Pandya
सुप्रभात .
सुमन्त पंड्या .
Sumant Pandya .
गुलमोहर, शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .
24 जून 2015.
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