" पक्ष औ प्रतिपक्ष संसद में मुखर हैं ,
बात इतनी है कि कोई पुल बना है . "
- दुष्यंत कुमार .
कल परिस्थिति ने बहुत अनुमति नहीं दी इस लिए संसद की पूरी गतिविधि तो सजीव नहीं देख पाया पर रात मीडिया पर जो झलकियां देखीं उनसे कोई ख़ुशी नहीं हुई .
कई दिनों के बाद तो संसद बैठी बात करने को और बात हुई भी कल तो कैसी कैसी बातें हुईं वो मुझे दोहराने की आवश्यकता नहीं . भाषण कला में तो सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों अपने को पारंगत दिखा रहे हैं पर मूल प्रश्न से सब कोई कन्नी काट रहे हैं .
ऐसा लगता है कि सांसद सामने आए सवालों को टाल कर भोली जनता को रिझाने के लिए संसद के मंच का उपयोग करने लगे हैं .
संसद के पराभव को लेकर आम नागरिक की चिंताएं वाजिब हैं .
ये वे ही चिंताएं जो उस समय से ही शुरु हो गईं थी जब जेम्स ब्राइस ने दो खण्डों में मॉडर्न डेमोक्रेसीज नामक कृति लिखी थी . अब तो वे चिंताएं बढ़ने लगी हैं .
पहले संसद में कैमरा नहीं जाया करता था , अब कैमरा जाता है तो सारा देश देख रहा है कि ये हो क्या रहा है ?
अभी अभी मुझे बताया गया कि आज लैफ्ट हैँडर्स डे भी है . इस अवसर पर अपने सभी बांये हाथ वाले साथियों को सलाम करता हूं .
मैंने तो जो सूझा बांये हाथ से ही मांड दिया है अभी के लिए .
सह अभिवादन : Manju Pandya
आशियाना आंगन , भिवाड़ी .
13 अगस्त 2015.
लैफ्ट हैंडर्स डे .
ब्लॉग पर प्रकाशन और लोकार्पण १३ अगस्त २०१८.
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