Thursday, 2 August 2018

सुबह का अपडेट : ठाले बैठे .

आज सुबह का अपडेट :


सुबह उठकर क्या देखता हूं कि इंटरनेट तो है ही नहीं मोबाइल की भी बैटरी शून्य हो गई है और कोई ज़रिया सोशल मीडिया से संदेश अवाक जावक का बचा नहीं । अब न तो न सही , हो ओ अपने क्या है । अब कुछ न कुछ ऑफ़ लाइन लिखा जाए जो काम आए तो आए और न आए तो कुछ अभ्यास किया ये संतोष तो होएगा कम से कम ।


अब स्मृतियों के चलचित्र 

जब मैं पहली बार जोशी बाबा के पास पढ़ने गया था , मेरे लिए ये ही पढ़ाई की शुरुआत थी , तब सलेट और खड़िया की पेंसिल साथ लेकर गया था । उस घड़ी का विस्तृत संस्मरण लिखा जाना अभी बाक़ी है । आज अब नए ज़माने में ये जो आई पैड मिनी मेरे हाथ में है , ये है अब नए ज़माने की सलेट और अब अपण हैं इस विधा के नव साक्षर । जब तक सामग्री डिस्पैच न हो जाए ख़ूब लिखो और ख़ूब बुझाओ । लिखे जाओ , चाहो तो रखो , चाहो तो मिटाओ । नए ज़माने की इस सलेट पर लेखन अभ्यास चलता रहे , चलता रहे और क्या ?


फिर वही बात : वर्ड में लिखना है .

     पहले भी शाणे लोगों ने मुझे ये राय दी थी पर तब मैं मूरख़ समझा नहीं था ।  

क्यों न समझा था ?

ऐसे छोटे छोटे अक्षर बण जाते जो मुझे आसानी से दीखते ही नहीं । अब जब ट्राई किया तो पता लगा के उस लिखे को तो ज़ूम करके फ़िट टू साइज़ किया जा सकता है । अब तो कोई दिक़्क़त ही नहीं । हो गई दिक़्क़त दूर । पर लिखने को कोई बात , कोई क़िस्सा भी तो होना चाहिए तब ही तो बने कोई इबारत ।  

मैं कोई क़िस्सा गढ़ता नहीं । जो भी कोई घटना होती है , जिसका मैं भागीदार या साक्षी होवूँ , उसी को बयान कर देता हूं और ये ही मेरी किस्सागोई होती है । मुझे क़िस्सा कहकर अच्छा लगता है और अगर आपको क़िस्सा पढ़ सुनकर अच्छा लगता है तो यही मेरा परम सौभाग्य है ।

हालांकि अभी कोई क़िस्सा नहीं जुड़ा इस पोस्ट में पर क़िस्सों का ज़िक्र तो आया ही है कम से कम । क़िस्से भी लिखूंग़ा वर्ड फ़ारमेट में और जोडूंग़ा अपनी प्रोफ़ाइल पर ।


अब ये ठाले बैठे आफ लाइन लिखते रहने में हुई तैयार एक इबारत । अब इसे सलेट पर लिखा मानकर बुझाणने से तो क्या मतलब है । किसी को दिखेगा तो ये ही तो समझेगा कैना लिखने की प्रैक्टिस की है और लिखना सीख लिया है जैसे तैसे ।


अब जब मिलेगा इंटरनेट

तब होगी ये पोस्ट डिस्पैच 


आशियाना आँगन , भिवाड़ी 

गुरुवार ३ अगस्त २०१७। 

ब्लॉग पर प्रकाशन  ३ अगस्त २०१८. 


1 comment:

  1. अब ये चलताऊ बात पर डाल दी ब्लॉग पोस्ट बैठे ठाले .

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