********************************************************
😊😊 हीरा - मोती की कहानी : भाग दो : बनस्थली डायरी .💐💐
#बनस्थलीडायरी #sumantpandya
इस विषय में पहले भाग में मैंने बताया था कि सुरेन्द्र शर्मा जी ने किस प्रकार मेरे लिए अपने आपको हीरा घोषित कर दिया था और लपेटे में लेते हुए ओम प्रकाश शर्मा को मोती बना दिया था .आखिर दोनों से मेरे मजबूत रिश्ते जो थे . ये रिश्ते कई एक तरह से काम आए जिनकी झलक दिखलाने का प्रयास करूंगा देखिए कितना संभव हो पाता है .
एक दिन की बात : 😊
**************** सामने वाले शर्मा जी , जो उन दिनों 45 रवीन्द्र निवास में रहा करते थे , मुझसे आकर बोले :
“ अरे सर ! आप कहो तो आपके साले को कुछ काम से जोत लेवूं क्या ? जैसे आप कहो . “
o
और मैंने भी गर्व से कह दिया :
“ इसमें कौनसी सोचने वाली बात है , जोतो सालों को आखिर ये और कब काम आएँगे . “
और मेरी स्वीकृति पाकर शर्मा जी ओ पी शर्मा को अपने साथ टोंक लिवा ले गए , उन्हें अपने लिए मोटर ड्राइविंग का लाइसेंस बनवाना था . ओ पी उन दिनों खुद एक मोटर ले आए थे और मोटर दौड़ाने लगे थे सो शर्मा जी को उसमें बैठाकर ले गए और ज़िला परिवहन दफ्तर में साथ रहे . लौटकर मुझसे बोले ओ पी :
“ 😊 आपका नाम ले देते हैं तो जो कहा वो तो करना ही पड़ता है .”😊
तो इस तरह बहुविध उपयोगी सिद्ध हो रहे थे हीरा - मोती . मेरा नाम लेकर मेरे यार दोस्त भी इन्हें जोत लेवें तो कोई हरज नहीं .
बहर हाल मेरे लिए तो उन दिनों तक इनकी सेवाएं निजी तौर पर इतनी ही थीं कि होली के मौके पर आकर “ जीजा राजा “ और “ जीजा श्री “कहते हुए मेरी दुर्गत कर जाते . आगे जो कुछ हुआ वो थोड़ा सीख देने वाला है वो कहानी भी कहूंगा और आप बीती बताऊंगा .
बात 1995 की :
**************** 13 दिसंबर 1995 का दिन नजदीक आ रहा था . अब ये तो पहले से ही तय बात थी कि हमारे विवाह को पच्चीस वर्ष पूरे होने जा रहे थे , ये आ रहा था सिल्वर जुबली का मौका . उसी दिन संजय ( डीपू ) का विवाह जयपुर में होने जा रहा था , सविता पारीक अपने बेटे के विवाह का निमंत्रण देनें आई थीं और मैं ये मानकर चल रहा था कि ऐसे ही किसी समारोह में लग्गम में लग्गम अपनी भी जुबली मन जाएगी पर हुआ कुछ और ही और वो दूसरा पहलू ही मैं बताने जा रहा हूं जिससे क्या शिक्षा मिली वही बताना मेरा ध्येय है .
मेरे मन में कपट आ गया कि इस अवसर का लाभ उठाकर हीरा - मोती का शोषण किया जाए और दोनों को मजबूर किया जाए कि जुबली के मौके पर ये लोग नए सूट के लिए कपड़ा लाकर देवें .
“ अगर अकेले नहीं दे सकते तो दोनों मिलकर देवो . “ शर्मा जी ने दोनों पर दबाव बना दिया .
भारत में साले होते ही हैं ठगाने के लिए इसी लिए तो इस महा देश में उन्हें ब्रदर इन लॉ लूजर कहा जाता है . अब ये भी देखिए नीयत की बात है , कपड़ों का कभी कोई घाटा नहीं रहा पर हीरा - मोती का शोषण करना था जो ये दबाव बना बैठा . इसका क्या नतीजा निकला और कैसी मनी उस बार जुबली यही बताना शेष रहा उसे बारीकी से अगली कड़ी में ही बता पावूंगा ……
बनस्थली डायरी के अंतर्गत ये होगी “ हीरा -मोती की कहानी “ की एक और कड़ी , इसकी पूरक कड़ियां भी आएंगी .
इसे ब्लॉग पर भी प्रकाशित करूंगा और फेसबुक स्टेटस के रूप में भी जारी करूंगा .
सैकिण्ड टी ब्रैक ...
************************************
सुप्रभात .
सुमन्त पंड्या .
@ गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .
सोमवार , 25 अप्रेल 2016 .
इस स्टेटस की समीक्षा का भार दो लोगों पर डालूंगा , बात घर में भी चले और बनस्थली परिसर तक भी पहुंचे . अब आगे के रहस्य पर से पर्दा तो अगली कड़ी में ही उठ पाएगा , जो इत्ती सी बात बताई है उसका नतीजा देखते हैं अभी हाल तो .
😊 ***********************************************************
अब होगा इस कथा को ब्लॉग पर प्रकाशित करने का प्रयास , अब तक फेसबुक पर थोड़ी बहुत सराहना मिल चुकी है .
*******😊
बीती रात हीरा- मोती की कहानी की ये कड़ी ब्लॉग पर प्रकाशित करने में सफलता मिल गई , पहली कड़ी पहले ही दर्ज है .दोनों कड़ियों में एक तारतम्य है . अब आगे प्रयास होगा इसकी अगली कड़ी लिखने और प्रकाशित करने का . ये सब संभव होगा आप सब की शुभाकांक्षाओं से ही . सुप्रभात .
ReplyDeleteबीती रात हीरा- मोती की कहानी की ये कड़ी ब्लॉग पर प्रकाशित करने में सफलता मिल गई , पहली कड़ी पहले ही दर्ज है .दोनों कड़ियों में एक तारतम्य है . अब आगे प्रयास होगा इसकी अगली कड़ी लिखने और प्रकाशित करने का . ये सब संभव होगा आप सब की शुभाकांक्षाओं से ही . सुप्रभात .
ReplyDelete