Monday, 4 April 2016

☺ होली आदि बनस्थली की : बनस्थलीडायरी के अंतर्गत .☺☺☺☺☺

#बनस्थलीडायरी   #sumantpandya

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  होली आ रही है  तो बातें आदि बनस्थली की होली की :

    ये तब की बातें हैं जिन्हें जानने समझने वाले अब कम लोग बचे हैं पर अभी हाल हैं  . कल को तो ये बातें केवल जन श्रुतियों में रह जाएंगी कि उस छोटे से जन समुदाय में कैसी पारस्परिक आत्मीयता थी , कैसी पारिवारिकता थी , कैसी समता थी , कैसा कार्यकर्त्ता भाव था . बनस्थली की शुरुआत पंडित हीरा लाल शास्त्री की समाज सुधार की ललक के चलते हुई थी अतः शिक्षण संस्था बन जाने के बाद भी बजाय कर्मचारी के कार्यकर्त्ता शब्द प्रचलित था , ऐसे ही समय की एक होली के दिन की महा मूर्ख सम्मेलन की बात है , तो सुनिए :😊

सभा में से आवाज आती है अगले प्रस्तोता  के लिए फर्माइश :

“गौड़ साब , गौड़ साब ! “

अब सभा में दो गौड़  बैठे हैं  - एक कार्यालय के मदन मोहन गौड़ और दूसरे अर्थशास्त्र विभाग के श्याम नाथ गौड़ ( बाद में तो श्याम नाथ ने सर नेम छोड़ ही दिया था । ) खैर ..

भाई साब मदन मोहन गौड़ पूछते हैं :

“ कौन सा गौड़ चाहिए ? हल्का के भारी ? “

सभा में से आवाज आती है ,” भारी .”

और वो उठकर सामने चले जाते हैं . असल में हल्के गौड़ से वे वय में बड़े थे और और उनका गायन और लेखन अद्वितीय था . वो गए और उन्होंने जो गीत गाया उसके बोल थे :

“ होगा तू भगवान् किसी का  , मेरा तू भगवान् नहीं है .”

 मदन मोहन गौड़ असमय और न जाने की आयु में चले गए , इधर श्यामनाथ का आखिरी ग्रीटिंग कार्ड मॉरीशस से आया था आगे वो ट्रेसेबल नहीं हुए .

पर वे दिन और वो लोग मेरे लिए नॉस्टेलजिया की वजह है .

आज के लिए इतिहास के संग्रहागार से बनस्थली का और भी पुराने समय का एक चित्र जोड़ता हूं जब सरदार पटेल बनस्थली आए थे . चित्र मुझे जे एन यू के एक  गंभीर अध्येता गणपत ने ये सोचकर भेजा है कि ये मेरे काम का होगा .

आभार और आशीर्वाद - गणपत

सुप्रभात .

सहयोग और समर्थन :

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सुमन्त पंड्या .

गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .

सोमवार 14 मार्च 2016 .

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आज का अपडेट :

गए बरस आज के दिन लिखी थी ये पोस्ट और इसे ब्लॉग पर भी दर्ज किया था  । बहुत से लोगों ने इसे अपनी अपनी दीवार पर साझा किया था कोई कोई ने कापी पेस्ट भी किया इसे अपना गढ़ा क़िस्सा बनाकर । तब उस बार कसर ये रह ग़ई थी कि ये फ़ोटो ब्लॉग पर नहीं लग पाई थी , कारण तकनीकी अनभिज्ञता । आज ये भी सम्भव हो गया है ।

इबारत ज्यों की त्यों रखते हुए आज इस क़िस्से को फ़ोटो सहित ब्लॉग पर अंकित करता हूं .

आप सब को रंग पर्व की  बधाई । 🌹

सुमन्त पंड़्या 

@ जयपुर 

मंगलवार १४ मार्च २०१७.

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