Sunday, 3 April 2016

"☺ हाथी कोडै चाल्या ? 😊😊 "

  किस्सा बतर्ज गोपेश :😊 “  हाथी कोडै  चाल्या ? “

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      किस्सा बतर्ज गोपेश :😊 “  हाथी कोडै  चाल्या ? “

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   क्या बताऊं आपको आजकल ओबेसिटी के बड़े  चर्चे हैं  . डाक्टरी बाजार ने  ही नहीं नीम हकीमों ने , दवा निर्माता कंपनियों ने बहुत कमा खाया  मोटापे के निदान और उसकी चिकित्सा के नाम पर , खासकर पश्चिमी देशों में और हमारे नव सभ्य समाज में , कित्ते तो उपकरण बन - बिक गए  इसी भुलावे में कि उनसे ये हो जाएगा और वो हो जाएगा  . वो महिला को छमकछल्लो बना देंगे और पुरुष को सजीला नौजवान .

जाने दीजिए आज का मेरा लक्ष्य  इस ओबेसिटी मार्केट की व्याख्या करना नहीं है मैं तो स्वस्थ और शिष्ट  मोटापे की बात बताने  जा रहा हूं और उससे जुड़ा छोटा सा विट जो मुझे गोपेश ने बताया था जब वो गुलमोहर बाग़ में बैठकर चाय पी रहा था . ये बात पात्र परिचय के बिना ना समझ आएगी इसलिए शुरुआत वहीँ से .

पात्र परिचय :  😊 ( 1 )

        स्थान : नाहर गढ़ की सड़क ( जयपुर ) गोपाल लाल केसर लाल नाम से एक हलवाई की दूकान हुआ करती थी , विरासत में आज भी है  . ख़ास बात ये कि ये लोग बनिए हलवाई नहीं वैष्णव ब्राह्मण हैं  और बहुत बढ़िया होता आया है इनका उत्पाद . व्रत में खाने योग्य मिठाई तो इनकी खासियत है ही . इस दूकान पर तब बैठते थे गोपाल लाल  और उनका मोटापा वास्तव में दर्शनीय था वो उनके व्यक्तित्व की पहचान था , कोई जोड़ीदार मिले तो इस बाबत शिष्ट  हास परिहास भी होता .

            😊 (  2)   इधर इसी सड़क पर हमारे बाबा  के जमाने के पैतृक मकान , दूसरे शब्दों में अपने ननिहाल के घर में सपरिवार रहा करते थे  हमारे  रमेश भाई   जो  भी थोड़े भारी शरीर के थे और बहुत सुन्दर लगते थे  इसमें तो कोई शक ही नहीं , गोपेश उन्हीं का बेटा है , विट रमेश भाई का भी जोरदार था और उनकी ही छवि गोपेश में आती है .

अब असली किस्सा :

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गोपाललाल केसरलाल की दूकान के बाहर से अपनी स्वाभाविक चाल से जा रहे हैं रमेश भाई और उनपर निगाह पड़ते ही छेड़ने को बोलते हैं  गोपाललाल :

  😊” अजी हाथी कोडै चाल्या ….? “

उमर में थोड़े छोटे रमेश भाई  अपने दोनों हाथों से गोपाल लाल को इंगित कर अपना परिचय देते हैं :

 😊”... अजी ये तो हाथी बच्या छै  महाराज …”

बात बिलकुल साफ़ कि वो तो बड़े हाथी के  सामने बच्चे हैं .

---- ये रमेश भाई की बातें याद आ जाती हैं तो मेरी आंखें उन दिनों को याद कर नम हो जाती हैं .

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सुप्रभात .

सुमन्त पंड्या .

 @ गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .

  शनिवार , 2 अप्रेल 2016 .

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