Wednesday, 11 October 2017

बनस्थली डायरी --  निकोबार की लड़कियां .

बनस्थलीडायरी  : निकोबार की लड़कियां  💐💐💐💐

----------------------------------------------

#sumantpandya #स्मृतियोंकेचलचित्र  #बनस्थलीडायरी

💐💐💐💐

ये गई शताब्दी की बनस्थली की बातें हैं  , अभी थोड़ा सा लिखने का समय मिला है तो वो बातें  दर्ज करके बताने की कोशिश करता हूं  , देखते हैं कितना संभव हो पाता है .

ये कुछ ऐसा समय था जब निकोबार द्वीप समूह से अहिन्दीभाषी लड़कियों का बनस्थली आने का सिलसिला शुरु हुआ था . इनमें से कॉलेज तक पढ़ने आई लड़कियों के नाम आज भी मुझे  याद आते हैं , इनमें एस्थर , एग्नेस , मारग्रेट , एलिजाबेथ  साल दर साल मेरे पास पढ़ने आईं और अपनी  उच्च शिक्षा पूरी करके निकोबार द्वीप समूह को लौटीं  . भला हो फेसबुक का कि इनमें कोई कोई बाहैसियत अब मेरे संपर्क में आई हैं  और गए बरस एग्नेस को पुलिस अधिकारी की वर्दी में देखकर तो  मुझे कित्ती ख़ुशी हुई है आपको क्या बताऊं .

ये सिलसिला क्यों और कैसे शुरु हुआ ये तो फिर कभी सुनाऊंगा , वो एक अलग कहानी बन जाएगी  वरना , पर इन लड़कियों बाबत थोड़ा कुछ आज कहने की कोशिश करता हूं .

इसे मेरा सौभाग्य ही कहूंगा कि अपनी उच्च शिक्षा पूरी करते करते इनका मुझसे संपर्क तो मेरे  और साथियों के मुकाबले अधिकतम हुआ करता था बनस्थली में . इसका एक कारण शायद ये  भी था कि इनकी हिंदी सामान्य लड़कियों के मुकाबले प्रायः कमजोर होती थी और अध्यापक को विषय की  शिक्षा देने के साथ साथ भाषा की शिक्षा भी देनी होती थी . इधर मुझे निकोबार द्वीप समूह के जन जीवन और समाज - परिवार के बारे में जानने का अवसर मिलता था इनसे बात करके . जन जातियों के जीवन के बारे में इनसे अनोखी बातें मुझे जानने को मिली थीं उस दौरान जब  ये लडकियां  एम फिल शोध प्रबंध तैयार करने बाबत मेरे पास आतीं .

मुझे याद आता है कि एक बरस तो अकेली एस्थर के लिए ही एम फिल  - राजनीति शास्त्र का कोर्स चलाया गया क्योंकि एल जी साब की ख़ास सिफारिश थी कि उसकी अनवरत  शिक्षा अभी स्थगित न होवे  . एल जी इन्हें छोड़ने और लेने को हर साल एक जिम्मेदार शिक्षा अधिकारी  केंद्र शाशित प्रदेश से बनस्थली भेजते और  सत्र पर्यन्त ये लड़कियां बनस्थली में ही रहतीं  . सत्रांत में  आये अधिकारी एस्कोर्ट के साथ ये लडकियां अपने घरों को लौटती थीं .

ये बात इन लड़कियों के संपर्क में आने से मैं बहुत अच्छे से जाना कि इनके समाज में मातृ सत्तात्मक परिवार  होते आए हैं और मेरी ये लडकियां अब  अपने समाज में लौटकर घर  गृहस्थी और परिवार की मुखिया हैं . ये बात इधर मुख्यभूमि भारत में हम्मा  तुम्मा को अभी मुश्किल से स्वीकार हो सकती है .  यहां आजकल महिला सशक्तिकरण की बातें   बहुत प्रासंगिक मानी जाती हैं  और तमाम रूढ़िवादी शक्तियां भी बात में बात मिलाती हैं ताकि  आधुनिक कहा सकें . उधर निकोबार द्वीप समूह में मेरी ये ख़ास लड़कियां  हैं ही शक्तिशाली  , कम से कम मुझे तो

ये देखकर बड़ा अच्छा लगता है . कहने की आवश्यकता नहीं कि शिक्षा ने इन्हें और अधिक शक्तिशाली बनाया है .

एक बार की बात  :

------------------      सत्रांत का समय था  और उस दिन जब मैं स्टाफ रूम में पहुंचा तो निकोबार की छोटी लडकियां मुझे आकर बताने लगीं कि कोई कुलदीप मैडम मुझे ढूंढते हुए थोड़ी देर पहले वहां आयी थी   , मुझे वहां न पाकर कहीं और चली गई .

“ कौन हैं कुलदीप मैडम ? “   मुझे बताया गया कि  पोर्ट ब्लेयर से इन्हें लेने आई कोई शिक्षा अधिकारी हैं .  मुझे लगा कि एलिजाबेथ की पढ़ाई में रह रही कचाई  के लिए जरूर से मुझे उलाहना देना चाहती  रही होगी , खैर उस समय बात आई गई हो गई और मैं घर आ गया .

शाम को  ये कुलदीप मैडम दफ्तर से पता कर  मुझसे मिलने घर पर आयीं  और तब मुझे पता लगा वो कोई उलाहना देने के लिए मुझे नहीं खोज रही थी  , वो तो बरसों पहले मेरे पास पढ़के गई हुई  मेरी लड़की थी और  आभार ज्ञापन के लिए मिलने आई थी .

उसके साथ एक और महिला थी जो बनस्थली देखने के लिए ही साथ आई थी  . बरसों बाद अपनी छात्रा से मिलकर हमको ( मैं और जीवन संगिनी )  बहुत ख़ुशी हुई . वो हमें पोर्ट ब्लेयर आने का निमंत्रण भी देकर गई , हालांकि हमारा उधर जाना कभी हो नहीं पाया .

बता रहे हैं आज इंटरनेशनल गर्ल्स डे है .  अब वैसे तो मेरा वास्ता लड़कियों से ही ख़ास रहा है , अपनी सभी लड़कियां मुझे प्रिय हैं , पर  उनमें भी  ख़ास हैं मेरे लिए निकोबार की लडकियां  और अधिक अब क्या बताऊं .

अभी बुखार से  उठा हूं  पर अब ठीक हो गया हूं . आज के लिए ये पोस्ट  एग्नेस की पुलिस वर्दी में में एक फोटो के साथ जारी करता हूं .

इंटरनेशनल गर्ल्स डे की बधाई . 💐

नमस्कार .

सुमन्त पंड्या .

गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .

मंगलवार 11 अक्टूबर 2016 .

**************


ब्लॉग पर प्रकाशित .

१२ अक्टूबर २०१७ .

No comments:

Post a Comment