गये दिनों ब्रज प्रदेश में घूमकर आया तो एक पुराना प्रसंग याद आ गया :
एक नगर के मथुरा मिष्ठान भंडार में एक प्रतियोगिता आयोजित हुई ।चुनौती थी बीस लीटर दूध पीने की । जो पी पाने में सफल होता वह पुरस्कृत होता और विफल होते वह दूध का मोल चुकाते । पुरस्कृत होने की नौबत आ नहीं रही थी : लोग पांच सात लीटर दूध पीकर ठंडे हुए जा रहे थे और मात खा रहे थे ।
एक मरगिल्ला सा आदमी बैठा बैठा देख रहा था । थोड़ी देर के लिए वह उठकर चला गया और फिर वापस आया :
मैं पीउँगा बीस लीटर दूध , ले आओ ।
दूध लाया गया और वह पीने लगा । लोग दम साध कर देखते रहे । आशा नहीं थी कि वो पी पाएगा पर तब उनके आश्चर्य की सीमा न रही जब वह चुनौती के अनुसार दूध पी गया । अब जो संवाद हुआ वह इस प्रकार था :
आपको देखकर भरोसा नहीं होता कि आप बीस लीटर दूध पी सकते हैं ।
भरोसा तो मुझे भी नहीं था तभी तो मैं बीच में वृंदावन मिष्ठान भंडार गया वहां बीस लीटर दूध पीकर आया , जब भरोसा हो गया तब यहां आया ।
लोग चमत्कृत हुये ! वो परस्कृत हुआ ।
पुराना क़िस्सा आज ब्लॉग पर प्रकाशित —
जयपुर
मंगलवार ३१ अक्टूबर २०१७ .
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