Monday, 30 October 2017

भरोसा बात का

गये दिनों ब्रज प्रदेश में घूमकर आया तो एक पुराना प्रसंग याद आ गया :

एक नगर के मथुरा मिष्ठान भंडार में एक प्रतियोगिता आयोजित हुई ।चुनौती थी बीस लीटर दूध पीने की । जो पी पाने  में सफल होता वह पुरस्कृत होता  और विफल होते वह दूध का मोल चुकाते  । पुरस्कृत  होने की नौबत आ नहीं रही  थी : लोग पांच सात लीटर  दूध पीकर ठंडे हुए जा रहे थे और मात खा रहे थे ।

एक मरगिल्ला सा आदमी बैठा बैठा देख रहा था  । थोड़ी देर के लिए वह उठकर  चला  गया और फिर वापस आया :

मैं पीउँगा  बीस लीटर दूध ,  ले आओ ।

दूध लाया गया और वह पीने लगा । लोग दम साध  कर  देखते रहे । आशा नहीं थी कि  वो पी पाएगा  पर तब उनके आश्चर्य  की  सीमा न रही जब वह  चुनौती के अनुसार दूध पी गया । अब जो संवाद हुआ वह इस प्रकार था :

आपको देखकर भरोसा नहीं होता कि आप बीस लीटर दूध पी सकते हैं  ।

भरोसा  तो मुझे भी नहीं था तभी  तो मैं  बीच में वृंदावन  मिष्ठान भंडार गया वहां बीस लीटर  दूध पीकर आया , जब भरोसा हो गया  तब  यहां आया ।

लोग चमत्कृत हुये  ! वो  परस्कृत हुआ ।


पुराना क़िस्सा आज ब्लॉग पर प्रकाशित —

जयपुर 

मंगलवार ३१ अक्टूबर २०१७ .

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