पहले पहल कल की बात --
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कल पारिवारिक कारणों से उदय ब्रह्मपुरी गया था और अपने ससुराल में पुराना एल्बम देख रहा था , वहां उसे कुछ दुर्लभ फ़ोटोएं देखने को मिली . ये ही तो कमाल है आज के डिजिटल माध्यम का कि उदय ने वहीं से वो फ़ोटोएं हम लोगों को भेजीं , उदय तो फिर शाम को आकर हम लीगों से मिला . मैंने देखा कि इसमें से एक फ़ोटो में किनारे पर मैं भी खड़ा हूं . ख़ास बात ये कि लगभग सभी पात्रों को तो हम पहचान ही गए मेरे ठीक बराबर खड़े राज कुमार भी पहचान में आ गए .
अब दो साल पुरानी एक बात --
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एक दिन राज कुमार मेरे बराबर बैठे थे और ज़ित्ता सा मुझे आता था मैंने उनके साथ सेल्फ़ी ली थी . इस सेल्फ़ी को उनको सौंपने का वहां कोई उपाय नहीं था तो मैंने ब्राह्मपुरी के कुछ बच्चों को ये फ़ोटो भेजी . साथ ही फ़ोटो को " सेल्फ़ी विद राज कुमार " शीर्षक से साझा भी किया . मुझे अच्छी तरह याद है कि मेरे मित्र Govindram Kejriwal का इस सेल्फ़ी बाबत कहना था कि मैं इन्हें राज कुमार कह रहा हूं जबकि ये तो बादशाह लगते हैं . सच भी है अब ये किसी बादशाह से कम नहीं हैं .
अब मैं दोनों ही फ़ोटोएं यहां जोड़ता हूं १ . पचास साल पुरानी और २. दो साल पुरानी सेल्फ़ी . और ३. एक और फ़ोटो पहली फ़ोटो से एडिटेड जिसमें मैं और राजकुमार साथ खड़े हैं .
विशेष सराहना Udai Pandya.
जयपुर
रविवार २२ अक्टूबर २०१७ .
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ब्लॉग पर यथावत प्रकाशित
मंगलवार २४ अक्टूबर २०१७ .
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