Monday, 16 October 2017

पोस्ट आफिस का लोप : ठेकेदारी का उभार .

पोस्ट ऑफिस का लोप : ठेकेदारी का उभार .

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#पोस्टऑफिस_का_लोप

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पिछले दिनों बापू नगर के जनता स्टोर चौक में ये कोना देखकर बहुत आघात लगा मन को . जितनी बातें मन में आई गईँ वो ही आपसे साझा करने की गरज से ये स्टेटस मांड रहा हूं .


              वैसे गया कोई और काम से था पर जब इधर देखा तो बड़ा अटपटा लगा , अरे यहां तो पोस्ट ऑफिस हुआ करता था . दिन में लोग यहां डाक सम्बन्धी काम से लगाकर बचत खातों के लेन देन तक के लिए आया जाया करते थे और अब देखो पोस्ट ऑफिस का तो बोर्ड ही नदारद है और यहां कोई सूचना भी लगी हुई नहीं है . क्या पोस्ट ऑफिस भी आए दिन कारोबार बंद कर भाग लेने वाली फाइनेंस कंपनियों की तरह भाग लिया यहां से ? मेरी उत्सुकता जागी , क्या करूं किससे पूछूं , आसपास के कारोबारी दूकानदार अपने अपने कार्य व्यापार में लगे हुए उन्हें अपने ग्राहकों से मतलब या मेरी जिज्ञासा से . पर मुझे तो पता करना ही करना कि आखिर पोस्ट ऑफिस का क्या हुआ . हालांकि और दूकानदारों से भी मैं अपनी ' राहुल के ताऊ ' हैसियत के दम पर अटक ही सकता था पर मैं सोचने लगा कोई भला व्यक्ति और उसका स्थान देखकर बैठकर बात करूं कि आखिर पोस्ट ऑफिस का लोप क्योंकर हुआ .

इसी चर्चा और पोस्ट ऑफिस संबंधी विस्तृत शोध आधारित स्टेटस की एक सिरीज बनेगी पर अब समय नहीं है अतः चर्चा को विराम देना पड़ेगा .

ये चर्चा पोस्ट ऑफिस और उससे जुड़े सामाजिक सरोकारों तक जाएगी पर थोड़ा समय तो मिले .


क्या कहा ," ये राहुल के ताऊ का क्या चक्कर है ?"


 नहीं नहीं वो भी बताऊंगा अगर आपको पहले से पता नहीं है . न तो पुरानी पोस्ट फिर साझा कर दूंगा पर अभी हाल इजाजत दीजिए .

प्रातःकालीन सभा स्थगित ....

सुप्रभात .

सह अभिवादन : Manju Pandya

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सुमन्त पंड्या .

गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर . जयपुर .

16 अक्टूबर 2015 .

आज ब्लॉग पर प्रकाशित  भाग एक 

जयपुर 

१७ अक्टूबर २०१७ .

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पोस्ट ऑफिस का लोप : ठेकेदारी का उभार ~ भाग दो .

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#पोस्ट_ऑफिस_का_लोप

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      कल भोर में इस बाबत लिखना शुरु किया था पर बात अधूरी छोड़नी पड़ी मजबूरी थी इसलिए . पर कुल मिलाकर अच्छा ही हुआ . आगे की बात यों तो टिप्पणियों में आ गई . उजली तस्वीर मेरे दोस्त सुभाष ने बता दी और और यहां पोस्ट ऑफिस की इमारत की क्या हालत थी ये बात मेरे भतीजे चक्रपाणि ने बता दी . ये पोस्ट ऑफिस यूनिवर्सिटी के पोस्ट ऑफिस में जा मिला ये बात तो आपको पता लग ही गई अब इसमें बताने को भला क्या बचा . महिमा ने भी तत्काल पूछा था कि फिर पोस्ट ऑफिस गया कहां तो उसको पता लग ही गया होगा .


अब अच्छा तो ये होता 

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कि ये जनता स्टोर का पोस्ट ऑफिस जिस पोस्ट ऑफिस में खप गया वहां हो आता , वहां की भी तस्वीर उतार कर लाता और तब आगे की पोस्ट लिखता तो बेहतर होता , पर वो संभव नहीं हुआ और इस रंबाद को छेड़ा है तो आज भी कुछ बात तो बनानी है इस लिए उस घड़ी की ही बात करता हूं जब मैं जनता स्टोर के उस कोने में था जहां से हुआ पोस्ट ऑफिस का लदान मुझे बुरा लग रहा था . पोस्ट ऑफिस की शाखाएं बढ़नी चाहिए या कि सिमटनी चाहिए सवाल तो ये है ,खैर गया यहां से पोस्ट ऑफिस और अब यहां आने का नहीं , इससे वरिष्ठ नागरिकों को सुविधा थी उसकी बात तो खैर जाने दीजिए .


नए ठेकेदार :

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पते की बात ये है कि डाक विभाग जिस काम के लिए जाना और सराहा जाता था , कहीं कहीं आज भी सराहा जाता है उसका पैसाव नगर सभ्यता में कम होता जा रहा है और जो नए ठेकेदार गली गली में दिखाई देने लगे हैं वो हैं कूरियर कंपनियों के एजेंट . जिस कोने की तस्वीर मैंने कल चस्पां की थी उसमें इस हाथ को पोस्ट आफिस की त्यागी हुई दूकान है और उस हाथ को एक फोटोस्टेट और कूरियर सेवा की दूकान है . पोस्ट ऑफिस के लोप बाबत मेरी शोध वहीँ से प्रारम्भ हुई . बात वहीँ से शुरु हुई 


संवाद ज्यों का त्यों :

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   आप इस दूकान में कर्मचारी हैं या मालिक हैं ?


   जी मालिक हूं .


  आप से एक बात पूछनी थी , ये पड़ोस में जो आपके दुश्मन थे वो दूकान 

   बंद करके कहां चले गए ?


   आप पोस्ट ऑफिस की बात कर रहे है साब तो वो तो यूनिवर्सिटी कैम्पस में चला गया .


  अस्थाई रूप से गया या हमेशा के लिए चला गया ?


  उसमे मर्ज हो गया साब .

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 इस प्रकार बात शुरु हुई कैलाश जी से और परिचय हुआ तो पता चला इनकी तो बनस्थली में ससुराल भी है और आपणो रेडियो के दफ्तर में इनके साले आज भी काम करते हैं .

कहां कहां मिल जाते हैं अपने लोग बशर्ते आप उन्हें अपना मानें ....


बहुत बात हुई उनसे .....


अनायास समयाभाव के चलते प्रातःकालीन सभा स्थगित ....

बातें और भी बताऊंगा . क्रमशः ....

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पात्र उल्लेख :

चक्रपाणि : Chakrapani Sharma

सुभाष : Subhash Mathur

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सुप्रभात.

सह अभिवादन : Manju Pandya


सुमन्त पंड्या .

गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .

17 अक्टूबर 2015 .

आज ब्लॉग पर प्रकाशित 

जयपुर 

१७ अक्टूबर २०१७ .

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1 comment:

  1. दो बरस से फ़ेसबुक फ़ाइल में थी ये पोस्ट आज इसे ब्लॉग पर प्रकाशित कर दिया , हालांकि अभी इस बाबत बहुत कुछ कहना बाक़ी रह गया , समय निकाल कर और लिखूंग़ा .

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