सुप्रभात , नमस्कार 🙏
नो मोर टल्लम टल्ला 😔
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“ ये पुरानी फ़ोटो क्यों चला देते हो दुबारा ?”
“ फ़ोटो डालने की इत्ती जल्दी क्या थी ?”
ये कुछ टिप्पणियाँ हैं जो रोज़ ही सुननी पड़ती हैं मुझे पर क्या करूं गए दिनों कुछ ऐसा ही हो गया कि इबारत रही कम और फ़ोटोएं रही ज़्यादा अपनी टाइम लाइन पे .
वो पहले कभी ऐसा भी हुआ था कि फ़ेसबुक कई दिनों तक फ़ोटो जोड़ने और टैग करने पर ऐतराज कर देता था पर बाद में वो मामला सुलझ गया था . ख़ैर वो मामला तो सुलझ ही गया था पर मैंने खीजकर स्टेटस लिखी थी —
“ क़ुण बोया , कुण काटिया कुण कै लागी लाय ? “
पर अब तो अच्छे दिन आ गए हैं , ऐसा कोई ऐतराज नहीं है . फिर भी बात याद आ गई तो वैसे ही बता दी है .
फिर अब क्या ?
अब ये ही कि ये कोरी फ़ोटो दिखाकर टल्लम टल्ला नहीं करूंग़ा और इबारत ज़्यादा ज़्यादा लिखूंग़ा .अब देखो जितना सम्भव हो जाय .
गुलमोहर , जयपुर
गुरुवार २६ अक्टूबर २०१७ .
इधर पोस्ट फ़ेसबुक पर आए और साथ ही ब्लॉग पर भी दर्ज कर देवें तो आगे से ढूंढ़ने में आसानी रहती है .
ReplyDeleteये आज के लिए एक प्रयोग है .