राजस्थान कालेज की याद : दो प्रसंग . 😊😊
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#sumantpandya
#राजस्थानकालेज #फिराकगोरखपुरी
#हजारीप्रसादद्विवेदी
जब मैं राजस्थान कालेज में पढ़ा करता था तब की बहुत सी बातें याद आती हैं , आज उनमें से केवल दो का उल्लेख करता हूं .
1.
राजस्थान कालेज के उर्दू विभाग की ओर से व्याख्यान का आयोजन था और जो विशिष्ट विद्वान व्याख्यान देने आए थे वे थे जाने माने शायर फिराक़ गोरखपुरी. ये तब की बात है जब तक फिराक़ को ज्ञानपीठ सम्मान नहीं मिला था पर उर्दू शायरी में उनका बड़ा नाम था . बाद में तो उन्हें ज्ञानपीठ पुरूस्कार भी मिला था और उनकी प्रख्यात कृति 'गुले नगमा' देवनागरी लिपि में प्रकाशित भी हुई थी .
राजस्थान कालेज के ऊपर वाले हाल में फ़िराक को सुनने वालों की भारी भीड़ थी , सब कोई उनकी शायरी सुनने को आतुर थे .
उर्दू के विभागाध्यक्ष जैदी साब ने फ़िराक साब का जो परिचय दिया वो भी एक अलग अंदाज में उसके पीछे भी एक गरज छुपी थी .
जैदी साब बोले :
" उर्दू में बहुवचन कुछ इस तरह बनाए जाते हैं - जैसे 'खबर' से ' अखबार', 'शेर' से 'अशआर'. वगैरा वगैरा ,..,
एक भोले आदमी को जैसी समझ थी उसने स्टेज पर बैठे शायरों के बाबत ऐसे कह दिया ' आपके सामने कई मुशायरे बैठे हैं .'
वो ये समझता था कि शायर का बहुवचन मुशायरा होता है .
आज मैं भी वही कहूंगा कि ' आपके सामने बड़े मुशायरे बैठे हैं, आज के एक ही शायर किसी भी मुशायरे पर भारी हैं .' ......."
खैर सभा चली , फ़िराक साब का भाषण हुआ और चर्चा का समापन भी होने लगा पर जैदी साब के बहुत मिन्नतें करने के बावजूद उस दिन फिराक साब ने कोई शायरी नहीं सुनाई . उनका कहना था कि वो गंभीर परिचर्चा के लिए आए थे किसी मुशायरे के लिए नहीं.
😊😊
2.
हिंदी विभाग का आयोजन था . विश्वविद्यालय के ह्यूमैनिटीज हॉल में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी व्याख्यान दे रहे थे . उस दिन की उनकी कही एक बात मुझे यदा कदा याद आ ही जाती है . उन्होंने कहा था :
".... लोग मुझसे पूछते हैं ,' हिंदी को खड़ी बोली क्यों कहते हैं ?'
इसका उत्तर मैं इस प्रकार देता हूं ,' जब से इसमें काम शुरु हुआ है हम ने बैठने का नाम ही नहीं लिया है . ...."
धवल धोती कुर्ता पहन कर उस दिन भाषण देने खड़े हुए आचार्य प्रवर मुझे आज भी याद हैं .
ऐसे अच्छे दिनों को याद करते हुए आज के लिए
इति और प्रातःकालीन सभा स्थगित .
अम्बेडकर जयंती की बधाई .
जय भीम .
सहयोगManju Pandya
सुमन्त .
आशियाना आँगन, भिवाड़ी .
14 अप्रेल 2015 .
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अपडेट :
गए बरस आज के दिन भिवाड़ी में बैठकर सुबह सुबह लिखी थी ये पोस्ट और आप मित्रों ने सराहा था इस पोस्ट को .
आज फेसबुक ने ये बात याद दिलाई है , इस बीच नए दोस्त भी जुड़े हैं और ये उचित ही होगा कि एक नज़र इस पोस्ट पर डाल लेवें वे लोग , इसमें बड़ी बड़ी हस्तियों का उल्लेख तो है ही मेरे नॉस्टेलजिया का भी संकेत है .
प्राइवेट कॉफी डन @ गुलमोहर कैम्प जयपुर .
गुरूवार 14 अप्रेल 2016 .
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इस पोस्ट के फ़ेसबुक पर प्रकाशित होने पर मेरे दोस्तों ने बहुत सराहाना की थी । महादेव चतुर्वेदी ने इन अवसरों की पुष्टि की थी वो इस सब के साक्षी रहे ।
दुर्गा प्रसाद अग्रवाल साब ने जो कहा वो तो यहां उद्धृत ही किए देता हूं :
" यह पढ़कर आपसे ईर्ष्या हो रही है कि आपने फ़िराक़ साहब और हजारी बाबू को देखा-सुना है. वो शे'र बेसाख़्ता यद आ रहा है: आने वाली नस्लें तुम पर रश्क़ करेंगी हमअस्रों जब ये ध्यान आयेगा उनको तुमने फ़िराक़ को देखा था. "
और ये कहा केजरीवाल जी ने :
" वाह सुमन्तजी,फ़िराक़ साब और हज़ारीप्रसाद जी को स्वयं सुनना तो गर्व की बात हुई, मुझे तो आपमें भी वही छवि नज़र आने लगी है अब आपके लिखे पन्नो में... जय भीम... "
आभार मित्रवर त्रय आपका और अन्य सभी का जिन्होंने पोस्ट को सराहा । आज संयोग से एक पुराना आई कार्ड और उपलब्ध हो गया उस ज़माने का तो अपनी फ़ोटो और यहां जोड़ रहा हूं । इसे उपलब्ध कराने के लिए अपने दोनों भाइयों का आभार भी व्यक्त करता हूं ।
अब आपका और समय नहीं लूँगा , किए देता हूं ब्लॉग पोस्ट प्रकाशित ।
जय भीम !!
जयपुर
शुक्रवार १४ अप्रेल २०१७ .
------------------------जयपुर डायरी
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