Sunday, 23 April 2017

ननिहाल की याद भाग दो : स्मृतियों के चल चित्र 😎

सर्व प्रथम वासुदेव भाई को प्रणाम। 🙏


ननिहाल की याद : दो .

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#ननिहालकीयाद दो


ये हमारे बचपन की बात है , मामाजी के जमाने की बात है .

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तब डाक विभाग की संचार व्यवस्था ठीक ठाक थी , उस पर भरोसा किया जा सकता था . गांव में तब भी विलेज पोस्ट ऑफिस हुआ करता था . पोस्ट कार्ड पांच पैसे का हुआ करता था और आसानी से बरता जा सकता था. पर पत्र के लिए पोस्ट कार्ड लिखने के बजाय मामाजी यदा कदा एक दूसरा ही उपाय करते वही बताता हूं .


गांव का एक नौजवान ,जो मामाजी का विद्यार्थी भी था , जयपुर के रेलवे मेल सर्विस पोस्ट ऑफिस में काम करता था जब भी गांव जाकर आता मामाजी उसे कुशल समाचार का पत्र लिखकर दे देते और कहते :


" भुआ जी कूं दी आज्यो ."

अर्थात इसे भुआ जी को दे आना .


अगले दिन सुबह उठते ही यह युवक जो रेलवे स्टेशन पर ही सेवारत था और रहता था , साईकिल लेकर नाहर गढ़ रोड़ पर हमारे घर आता और पत्र पहुंचाता . यह संचार की एक अद्भुत व्यस्था थी जो मामाजी ने चुनी थी . वह युवक आता , बैठता , चाय पीता और अम्मा के सामने सारे गांव की हाजरी दर्ज करवाता .

घर परिवार के अलावा अम्मा सारे गांव के बारे में नदी पानी खेती बाड़ी और विभिन्न परिवारों के बारे में समाचार पूछती . रावतान कै , पिरोतान कै कैयां कांई ? ऐसे विभिन्न परिवारों के बारे में अम्मा सवाल करती . अम्मा उन परिवारों के भी समाचार जानती जो गांव में अपने मकान बंद कर आस पास के कस्बों में जा बसे थे और उन की अगली पीढियां तैयार हो रही थीं . रावत , पुरोहित , चौकड़ात , सांभर्या , ठींगाठाई आदि उस जमाने के उन परिवारों के नाम थे जो तब गांव में रहा करते थे .


गांव तब जितना आबाद था आज तो नहीं है , पानी के प्राकृतिक स्रोत सूख रहे हैं , लोग पलायन कर रहे हैं , मेरे ननिहाल मेंआज हालात बदले हुए हैं . पीढियां बदल गईं हैं . नई संचार व्यवस्था भी पहुंच गई है पर वो बात कहां जो मामा जी और अम्मा के जमाने में थी .

सायंकालीन सभा स्थगित .

Manju Pandyaन : Manju Pandya

सुमन्त

आशियाना आंगन , भिवाड़ी .

24 अप्रेल 2015 .

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आज का अपडेट : 💐💐💐💐💐

जयपर रविवार 24 अप्रेल 2016 .

*** ननिहाल की याद क्रम में मैंने गए बरस ये दूसरा भाग लिखा होगा भिवाड़ी में बैठे है . संयोग से दो दिनों से मेरी स्मृतियों के चलचित्र की ये कथा अब फिर चल पड़ी है इसे फिर से प्रकाशित कर चर्चा चलाने का प्रयास करता हूं .

सुमन्त पंड्या .

आज दिन डूंगरपुर से ब्लॉग पर प्रकाशित किए देता हूं ये पोस्ट आज की टीप के साथ :

#स्मृतियोंकेचलचित्र 


आज इस किस्से को भी ब्लॉग पर अंकित किए देता हूं । ननिहाल प्रसंग कल भी छेड़ा था आज फिर सही ।

डूंगरपुर से सुप्रभात ।🌅 और

जय भोले नाथ ।🔔🔔

सोमवार २४ अप्रेल २०१७ ।

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