प्रोफेसर नवल किशोर : जब बनस्थली आए .
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#बनस्थलीडायरी
एक दिन अनायास रोडवेज की बस से उतरकर प्रख्यात हिंदी आलोचक प्रोफ़ेसर नवल किशोर 44 रवीन्द्र निवास में हम लोगों के घर आ गए , अगले दिन बनस्थली के हिंदी विभाग में कोई आयोजन था उन्हें उसी में शामिल होना था . शायद बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक थी . आते ही बोले :
" मैं तो भाया जी के पास आया हूं , कल तक अपन बैठकर बातें करेंगे , मैं आ गया हूं ये बात हिंदी वालों को जाकर मत बताना . "
मुझे वे भाया जी कहकर ही बुलाते हैं , राजस्थानी का यह सम्बोधन मुझे भी प्रिय है . जब उन्होंने खबरदार ही कर दिया था तो मैं भला क्यों हिंदी वालों को जाकर बताता . अगले दिन बैठक का समय होने तक वे हमारे ही गोपन अतिथि रहे . इस अवधि में बतरस की गंगा लगातार प्रवाहित रही .
अगला दिन आया , वे जिस निमित्त से आए थे उसके लिए जाने लगे तो जीवन संगिनी ने कहा :
" भाई साब , दोपहर का भोजन भी आप यहीं करेंगे यह तय रहा ."
वे इसमे कुछ असमर्थता इस लिए भी बताने लगे कि चड़ीगढ़ के प्रोफ़ेसर यश गुलाटी भी आने वाले हैं तो वे उनका साथ देंगे और इसलिए संस्था की मेहमान नवाजी मे ही भोजन करेंगे . इस का भी समाधान ये निकाला गया कि वे भी दोपहर के भोजन में यहीं शामिल कर लिए जाएंगे . दोनों प्रोफेसरान को इधर लेकर आने की जिम्मेदारी पन्ना जी को दे दी गई और इस प्रकार हमारी एक और लंचन मीटिंग तय हो गई .
दोपहर भोजन पर प्रोफ़ेसर गुलाटी से नवल जी ने हम लोगों का परिचय कराया . वे मिल कर बहुत खुश हुए पर उन्होंने अपने को ख़ास तौर से भोजन पर बुलाए जाने का सबब पूछा और मैं अनायास कह बैठा :
" क्या बताऊं प्रोफ़ेसर साब , होने को तो अब मैं हिंदी वालों का बाप भी हूं , पर हिंदी वालों का एक पुराना कर्ज मुझपर बकाया है जिसे थोड़ा बहुत चुकाने का प्रयास करता हूं. "
भले प्रोफ़ेसर गुलाटी इसका निहितार्थ समझ अलवर के नंदकिशोर जी *और तत्कालीन प्रिंसिपल सांवल राम जी से अपने परिचय की बातें करने लगे . आखिर एक हिंदी वाले ने अपनी बेटी का विवाह मुझसे किया था . शायद इसी का असर है कि बेटे भी उसी विषय के मार्ग पर गए , अपने विषय में तो मैं सिर्फ बेटी को ही डाल पाया .
बनस्थली के दिनों और प्रोफ़ेसर नवल किशोर को बहुत याद करते हुए .
प्रति सेवा में प्रस्तुत : professNawalkishore Sharma
* हिमांशु के नाना .
समयाभाव के कारण आज की चर्चा यही. स्थगित करता हूं .
सह अभिवादनManju Pandyadya .
सुप्रभात . Good morning.
सुमन्त
आशियाना आँगन . भिवाड़ी .
6 अप्रेल 2015 .
फोटो का श्रेय : पल्लव Pallav Banaas Jan
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ये पोस्ट गए बरस भिवाड़ी में बैठे लिखी थी , आज फेसबुक ने ये बात याद दिलाई .
इस पोस्ट को तो कुछ रत्न जड़कर मैं नए सिरे से अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करूंगा .
जयपुर 6 अप्रेल 2016 .
#स्मृतियोंकेचलचित्र #जयपुरडायरी #बनस्थलीडायरी
आज का अपडेट :
Good morning & private coffee done @ Gulmohar . ☕
जय भोले नाथ ।🔔🔔
मिलेंगे नेहरू गार्डन में .
शिव मंदिर के चबूतरे पर ।
गुरूवार ६अप्रेल २०१७ .
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