......अपना ही बच्चा है ...
उस दिन श्याम जी को न जाने क्या जची कि मुझे बोले : " भाई साब चालो, थानै बूढल्या हनुमान जी कै ले चालांला ." मैं श्याम जी के साथ हो लिया और हम लोग श्याम जी की मोटर सायकल पर बनस्थली से रवाना हो गए . भूड़ा मिटटी में रास्ता पार करते हम लोग दक्षिण दिशा में काफी दूर आगे बढ़कर एक हनुमान जी के मंदिर परिसर में पहुंचे . वहां उत्सव का सा माहौल था , सांस्कृतिक कार्यक्रम और सहभोज की तैयारी हो रही थी . थोड़ी ही देर में बिछायत होकर संगीत का कार्यक्रम प्रारम्भ हो गया . हारमोनियम और तबला वाद्य के साथ शास्त्रीय संगीत प्रारम्भ हुआ . मुझे गुलाब जी को बहुत बढ़िया पक्का गाना गाते देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ . लोगों में कैसी कैसी प्रतिभा होती है पर सामान्यतः हमें पता नहीं होता , यह उसी दिन स्पष्ट हुआ . गुलाब जी को मैंने निवाई में रामचंद्र कंवरीलाल की कपड़े की दूकान पर एक सहायक के रूप में काम करते बहुत बार देखा था पर मैं उनकी इस प्रतिभा से पूर्णतः अपरिचित था . इधर हमारे साथ एक दूसरी मोटर सायकल पर उमाशंकर भी पहुंचे थे जो बनस्थली के संगीत विभाग में संगतकार थे और एक अच्छे फ़नकार भी थे , रोज के अपने काम में उनकी यह प्रतिभा उजागर नहीं होती थी , उन्हें तो गाने वाली प्रशिक्षु छात्राओं के साथ तबले पर संगत करनी होती थी . पर उस दिन गुलाब जी के बाद उमाशंकर ने भी पक्का गाना गाया और तुलसीदास का एक भजन इतना बेहतरीन सुनाया कि गुलाब जी भी बहुत प्रभावित हुए . मैंने गुलाब जी की इस छिपी प्रतिभा की सराहना की थी , इधर गुलाब जी उमाशंकर को इंगित कर मुझसे पूछने लगे :" ये किसका बच्चा है ? " उस समय मैंने उनकी जिज्ञासा का यह कहकर समाधान किया :"........अपना ही बच्चा है , संगीत विभाग में काम करता है ."
गए दिनों में फेसबुक के कारण श्याम जी तो मित्र सूची में जुड़े ही उमाशंकर का भी मित्रता अनुरोध आया जिसे मैंने स्वीकार किया . उस दिन तो बूढल्या हनुमान जी के परिसर में भोजन कर हम लोग बनस्थली लौट आये पर वो गायन बहुत याद आया :" जब जानकीनाथ सहाय करैं तब कौन बिगाड़ करै नर तेरो ? "
आज के लिए चर्चा स्थगित .
फ़ोटो उमाशंकर की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल से ।
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