Tuesday, 23 January 2018

इंस्टाग्राम : भिवाड़ी डायरी

मुझे पता नहीं था इंस्टाग्राम होता क्या है .

फिर एक दिन पता लगा कोई माध्यम है जिससे कुछ फ़ोटू वोटू दर्ज करके भेजी जा सकती है अपने लोगों को . और ये भी पता लगा कि फ़ोटू  की रंगत भी बदली जा सकती है इसमें .

मुझे पता नहीं था कि ये इंस्टाग्राम विद्या मेरे उपकरणों में भी है. मैं कोई कोई फ़ोटू इंस्टाग्राम हल्के में ठेल देता . अब मुझे सूचना मिलने लगी कि कोई कोई लोग मेरा अनुसरण भी करते हैं माने फालो करते हैं . अपण ने तो बताने को ही डाली फ़ोटू , कोई छिपाने को थोड़े ही डाली तो ये बात भी बढ़िया .

इस विधा का अधिकतम इस्तेमाल इधर भिवाड़ी आकर सीनियर्स की बैठकों में ही किया है मैंने .एक दिन तो मेरे साथ फ़ोटो लिवाने की होड़ ही हो गई . लोग राज़ी अपण भी राजी  और क्या कहने .कई सीनियर्स फ़ोटो की प्रति लेना चाहें तो वो वाट्सएप नम्बर से जुड़ गए और ये सिलसिला चल पड़ा .

अब एक बात और फ़ोटो के साथ कुछ कुछ इंदराज भी तो होवे वो भी छोटा मोटा इंदराज मैं करने लगा . पर अभी भी मुझे पता नहीं है कि क्या किस्सागोई और संवाद भी इस चार दीवारी में साथ साथ चल सकता है .

अब देखते हैं कैसा काम आता है ये इंस्टाग्राम आगे .

अभी कई इल्म और सीखने हैं बच्चों से देखते हैं कैसा ढ़ब बैठता है आगे !

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