Tuesday, 28 February 2017

सर , अब तो मान जाइए ...: बनस्थली डायरी

सर , अब तो मान लीजिए ..... #sumantpandya  #बनस्थलीडायरी
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एक पुराना प्रसंग याद हो आया वही आज कहता हूं .
ये तब की बात है जब मेरा कालेज राजस्थान विश्वविद्यालय  से जुड़ा था और मैं साझे में डिग्री कक्षा को ' मॉडर्न गवर्नमेंट्स ' का पेपर पढ़ाता था . परीक्षा से पहले  कुछ जरूरी सवाल तैयार करने को बता दिए लड़कियों को और ताकीद भी कर दी :

अगर इससे इतर पेपर में सवाल आ जाएं तो मुझे मत कोसना और अगर ऐसा ही पेपर आ जाय तो ये मत समझना कि पेपर मैंने  बनाया है .

पेपर बनाने वाले तंत्र से मेरा तो कुछ लेना देना नहीं था पर पेपर कैसे बनते हैं इतना तो मैं भी समझने लगा था  . एक बारी तो विश्वविद्यालय ने कार्यशाला करके  ' प्रश्नबैंक ' ही बनवा डाला था . ये भी कुछ आगे पीछे उसी जमाने की बात है . खैर ..

पेपर के दिन  परीक्षा समाप्त होने के बखत मैं  कालेज चला गया यह देखने कि  बच्चों ने किला फ़तेह  कर लिया कि नहीं .  लड़कियां प्रसन्नचित्त बाहर आयीं और उनमे से एक तो बड़े आत्म  विशवास से जो बोली वो मुझे आज तक याद है :

" सर , अब तो मान जाइए कि पेपर आपने ही  बनाया था  ? "

अब इस भोले  विश्वास पर मैं भला क्या कहता . मैंने तो  खंडन ही किया और मन में कहा " बावळी , पेपर बनाता तो क्या ऐसे  क्लास में पेपर बताता ? "
पर उसको मेरी आखिरी बात  कुछ जची नहीं थी .
#पेपर

#बनस्थली

सहयोग : Manju Pandya

सुप्रभात

सुमन्त .

गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .
1 मार्च 20015 .

आज इस पोस्ट को पढकर बीते दिनों की याद आ गई .
कितनी बातें याद आने लगती हैं उस बखत की जब पढ़ता था और जब पढ़ाता था .
अब तो लगता है फेसबुक पर ही मेरी क्लास चलती है .

आज का अपडेट
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#स्मृतियोंकेचलचित्र #बनस्थलीडायरी
पुरानी पोस्ट को आज ब्लॉग पर भी जोड़ने का प्रयास किया है . कमेंट बॉक्स में लिंक भी जोड़ूंगा .

@ गुलमोहर कैम्प , जयपुर
१ मार्च २०१७

मार्च २०१७ .

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