Thursday, 7 December 2017

कैश क्रंच में पंडिताई  : भिवाड़ी डायरी .

कैश क्रंच में पंडिताई 🌻


नमस्कार 🙏


मैं सोच रहा था आज कल पंडितों की पंडिताई कैसी चल रही होगी , वैसे ठीक ही चल रही है ख़ैर , पर वो बात ऐसी कि हर संकल्प में मुद्रा धराते हैं और आजकल नक़दी का है टोटा जिससे ये सवाल आया और ये बात ध्यान में आई . पर मुझे अभी बतानी एक और ही बात वो आएगी आगे . बस एक बार बाहर का चक्कर लगाकर लौटता हूं .


हां अब बात आगे : ये बात है जुलाई २०१० की जब अनुज - महिमा ने आशियाना में घर ले लिया था और यहां आ बसने की योजना बन रही थी . ये तय किया गया कि अच्छा दिन देखकर गृह प्रवेश कर लिया जाए और आगे मय सामान के आ जाने की सुविधा देखें . तब का ठीड़ा गुड़गाँव था वहाँ से आना था भिवाड़ी जो ख़ैर आए और सब काम ठीक से हो भी गया पर उससे ही जुड़ी और और बातें हैं जो बताने लायक हैं .


पास के ही टावर में सोनी जी ने भी मकान लिया था उन लोगों को भी साथ आना था और यही शगुन करना था जो कि साथ आए भी और ये शुभ आयोजन पारस्परिक सहयोग से सम्भव हुआ भी .


कैश क्रंच की बात :

------------- नया मकान बनाने या लेने वाले जन के पास प्रायः नक़दी का टोटा हो जाता है और वो बरकत की जुगत सोचता है वही सोच सोनी जी का था वो बोले :


" यहां से एक ही पंडित ले चलते हैं , दोनों जगह पूजा करा देगा , बचत रहेगी ."


इस बात पर महिमा ने कहा 


" हमारे पापा हैं न पंडित जी वो करा देंगे पूजा ."


" तब हमारे ...? " सोनी जी ने पूछा .


और महिमा ने कहा : " आपके यहाँ भी करा देंगे किसी और पंडित की ज़रूरत नहीं ."


ऐसे बन गई योजना और ये अभियान दल संयुक्त रूप से चला आया भिवाड़ी ये एक छोटा सा शिष्टमंडल था जो तब आया था भिवाड़ी .


अब आगे की बात :

------------ हमारे अश्वनी भाई बड़े दूरदर्शी आदमी हैं वो तो मेरी सीमा जानते थे और इसलिए एक मंत्र पुस्तिका भी साथ लेते आए थे ताकि ये लीक से हटकर काम में हमारी मदद रहे और वक़्त ज़रूरत का कोई मंत्र छूटे नहीं .


ख़ैर सांब हो गई पूजा , हो गया गृह प्रवेश यहीं दूध गरम हुआ , नाश्ता भी हुआ और भोजन भी और अब हम पंडित द्वय पहुंचे सोनी जी जोड़े के साथ उनके नए आवास का गृह प्रवेश करवाने . और वहाँ भी हमें अपेक्षित सफलता मिली पर वहाँ एक रोचक घटना हुई जो बताने लायक है .


दूसरा गृह प्रवेश :

.................. पूजा और गृह प्रवेश के बाद सोनी जी प्रथानुसार दक्षिणा सोंपणा चाहते थे पर हम कैसे लेते हम तो स्थानापन्न पंडित थे , उल्टे अश्विनी भाई ने उन्हें याद दिलाया :

" पूजा करके उठे हो , अब बड़े बुज़ुर्गों का आशीर्वाद भी लेओ .🙏 "


सोनी जी ने झुककर हम दोनों का आशीर्वाद लिया और हमने अलग अलग शतक सम्मान से उन्हें पुरस्कृत भी किया .

सोनी जी ख़ुश हो गए . 


मुझे याद आता है मैंने रोहित के विवाह में गणेश स्थापना करवाई थी क्योंकि भाभी ने ऐसा कहा था , चौधरी के घर लगन झिलवाया था क्योंकि परिस्थिति की माँग ही ऐसी थी और ये आशियाना में गृह प्रवेश करवाया जहाँ हम लोग अभी ठहरे हैं .

जय हो प्रभु 🙏 

मुझे ऐसे भरोसे लायक सामर्थ्य देते रहना .


प्रातःक़ालीन सभा इसी संस्मरण के साथ स्थगित .......


सुमन्त पंड़्या 

@ आशियाना आँगन , भिवाड़ी .

 गुरुवार ८ दिसम्बर २०१६ .

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गए बरस लिखा था ये संस्मरण , इसमें आगे पीछे की कई बातों का ज़िक्र आया है .

आज इस क़िस्से का पुनः लोकार्पण .

आज ब्लॉग पर प्रकाशित .

जयपुर 

शुक्रवार  ८ दिसम्बर २०१७ .

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2 comments:

  1. नमस्ते सर..याद आया ये क़िस्सा आपने गए वर्ष लिखा था इस बारे में..बहुत बढ़िया! इस तरह की ज़िम्मेदारी हमने भी सौंपी है दो तीन बार अपने पिताजी को..और इस पर बच्चों का कहना था कि “मम्मी आप लोगों का बढ़िया है , बाबा को ही पंडितजी बना देते हो!!”��

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  2. आभार रश्मि , इस बार ब्लॉग पर दर्ज करने के बहाने फिर बात छेड़ी थी .

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