कल दोपहर तो कमाल हो गया . जय और प्रेरिता लिवा लाए और ये लोग यहां आ गए . भाई कमाल ये भी ब्लॉगर निकले . कल तो जीवन संगिनी ने कहकर ये तस्वीर लिवाई . ये अपने जीवन अनुभव लिखे जा रहे हैं डच भाषा में . अनुवाद के उपकरण से भाषा की दूरी को पाट डाला है . कल शाम ही मेरे ब्लॉग की एकआध पोस्ट पढ़ भी ली इन्होंने और अपनी टिप्पणी लिखी अपनी भाषा में . अपण ही रहे अनाड़ी उनकी भाषा समझने की कोई जुगत नहीं भिड़ा सके . पर फिर भी बेल्ज़ियम के इस जोड़े से जो मेलमिलाप रहा है कल और आज में उसके क्या कहने . तो कुल मिलाकर दो बात मुकम्मल हुई :
१ .
अन्तर्राष्ट्रीय मैत्री एक अलग महाद्वीप के लोगों के साथ .
२.
ये अहसास कि तुम भी ब्लॉगर और हम भी ब्लॉगर और दोनों लिखें अपनी अपनी ज़ुबान में फिर भी जानें एक दूसरे का लिखा और संवाद करें .
गुलमोहर कैम्प , जयपुर से सुप्रभात .
शनिवार ९ दिसम्बर २०१७ ।
और ये आज सुबह का शिखर सम्मेलन :
चाय पर चर्चा *
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