लेफ्टहैण्डर भाग चार .
आज नैट के पूर्ण असहयोग के चलते अधिक कुछ लिखना संभव नहीं हो पा रहा अतः बाद की बात पहले ले आ रहा हूं .
उस दिन जीजी के सामने मैं तो कुछ न कह सका था .
उन्होंने तो ये तक कहा था कि जब माता पिता का एडजस्टमेंट ठीक नहीं होता तब बच्चे उल्टे हाथ से लिखते हैं .
मुझे उन्होंने काफी नसीहतें भी दी , जो मैं ने सुनी .
बड़ों की बात मैं आदर पूर्वक सुनता ही हूं . वही सीख बच्चों को देता आया हूं .
मैंने यही सीख छोटे वाले को भी दी और सहन करने को कहा . बहरहाल उसका लिखने का तरीका यथावत रहा .
तब लेकिन मैं ये कहां जानता था कि एक दिन इसकी एक लेखक के रूप में प्रतिष्ठा होगी और ये दिल्ली विश्वविद्यालय से पी एच डी की डिग्री लेवेगा .
अब तो ये उसके बचपन की बातें हैं .
आपात स्थिति में प्रातःकालीन सभा स्थगित ...
सुप्रभात .
सह अभिवादन : Manju Pandya .
ब्लॉग पर प्रकाशन और लोकार्पण २३ -०७ -२०१८.
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