Monday, 2 July 2018

नानगा द ग्रेट : स्मृतियों के चलचित्र ७.

नानगा द ग्रेट : सातवीं कड़ी .


     नानगा गवर्नर हाउस याने राज भवन में त्रस्त था और नौकरी छोड़ने पर आमादा था . जैसी खान पान की सामग्री उसे बाजार से लेकर आनी होती थी उसे अच्छा नहीं लगता था . राज भवन में भी उसके काम काज का तरीका निराला था . निरक्षर व्यक्ति दुनियां भर में डाक बांट आता आखिर वो साइकिल सवार था , कैसे छटनी करता कैसे यथा स्थान पहुंचाता उसका अपना ढंग था . 

वहां रहते भी वो अपनी करनी से बाज नहीं आता .

तीतर उड़ाया .

    एक दिन नानगा को लगा कि रात के भोजन में एक तीतर भोज्य बनने वाला है . आखिर नॉन वैज खाने वालों को तो वो सुस्वादु लगता है ऐसा मैंने समझदार लोगों से सुना ही है . नानगा को तीतर पर दया आ गई और उसने तीतर उड़ा दिया . खुले आकाश में उड़ने वाला पक्षी चला गया आकाश में . रसोइया चाहे नॉन वैज बनाता रहा हो नानगा की शाकाहारी विचारधारा का भी तो आदर करता था . 

डिनर के लिए काटे जाने को तीतर उपलब्ध नहीं रहा . क्या हुआ उसके बाद आपकी जानने की उत्सुकता होगी पर ये बात आ पाएगी अगली कड़ी में ही . 

अनायास प्रातःकालीन सभा स्थगित 

(कथाक्रम आगे जारी रहेगा ....)

सुप्रभात .

सहयोग और समीक्षा : Manju Pandya .

सुमन्त पंड्य 

आशियाना आँगन , भिवाड़ी .

6 जुलाई 2015 .

ब्लॉग पर प्रकाशित  जुलाई २०१८ .

फोटो में शंकर के साथ मेरी जुगलबंदी .


No comments:

Post a Comment