आज की पोस्ट वास्तव में पूरक पोस्ट है , वो क्या कहते हैं सप्लीमेंट्री पोस्ट कह लीजिए . पिछली एक पोस्ट में इस प्रसंग को बीच में छोड़ना पड़ा था क्योंकि बात की दिशा तब कुछ और थी और ये बताने लगता तो ट्रैक बदल जाता . तो आज सही . प्राइवेट कॉफी हो चुकी और अब ये बात .
हुआ क्या था ?
- मैं लिफ्ट में अकेला था . ग्राउंड फ्लोर पर दरवाजा ज्यों ही खुला मेरी ही उमर के से एक सज्जन अंदर आए और मुझे जल्दी थी ये बताने की कि मैं तो मूर्ख हूं जो मैं ने उन्हें बताकर जी हल्का किया . जल्दी से बात को स्पष्ट किया कि माजरा क्या था क्योंकि संवाद लंबा चलाने के लिए अधिक समय न उनके पास था और न ही मेरे पास . फिर भी भलमनसाहत उनकी कि ये बात वो मानने को तैयार ही नहीं थे और मेरे बरअक्स मुझे ही डिफेंड कर रहे थे , बोले :
" मैं समझा , लिफ्ट ऊपर से आई है और आप भी ऊपर से ही आ रहे हो."
" कोई ऊपर से नहीं आया साहेब , ऊपर जाने को लिफ्ट में घुसा था ,ऊपर तो पहुंचा नहीं खड़ा हूं जहां का तहां और आप आए हो तो बताए देता हूं तीसरे फ्लोर पर जाना है ,आप जाते हुए उतार जाइएगा . "
संवाद से पल भर को वो सज्जन भी खुश हुए . थोडा सा विलम्ब हुआ, वो भी ज्यादा नहीं और आ गया यथा स्थान . अपने आप से सवाल किया साठ पार ऐसे ही होता है ये तो सुना ही था , तेरे साथ भी यही होने लगा ?
मशीन है कहो जिस तल पर ले जाने को , अरे पर मूरख मशीन को कहो तो सही कि जाना कहां है .
जो बात इस घटना में है वही बात जीवन में है , कहो तो सही :
" कहां जाना है ?"
बात अभी घर में भी नहीं बताई थी , आपको बताई है अपने तक रखिएगा .
प्रातःकालीन सभा स्थगित ....
सूचनार्थ : Manju Pandya
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इस पोस्ट पर आई कुछ टिप्पणियों का भी यहां उल्लेख करता हूं :
१.
प्रभात ने इसे एबसेंट माइंडेड़ होना बताया कहा इसका उम्र से कोई ताल्लुक़ नहीं .
२.
कुसुम परीक ने एक और क़िस्सा बताकर मेरी हिम्मत बढ़ाई , कहा :
" सर यह कोई उम्र वाला या भूलने वाला वाकया नही है। हम महिलाओं के संस्मरण सुनाए तो दंग रह जायेेंगे आप
एक बार मेरी एक सहेली ने बताया कि हम 3 4 जनी शादी में जा रही थीं ।
सब लिफ्ट में घुस गए ।
सामने एक दर्पण था 🤓🤓
फिर क्या हुआ 😇😇
आप समझ गए होंगे ।
3 4 मिनट तक लिफ्ट हिली ही नही और उनका सँवरना पूरा हुआ तो ध्यान आया कि हम कहाँ है?
देखा तो जस के तस खड़े है।🙏😍😂😂😂😂😂 "
३.
प्रियंकर जी ने इसे एक दार्शनिक प्रश्न से जोड़ा और मेरा उत्साह बढ़ाया :
" काश ! कहां जाना है यह ठीक-ठीक पता होता . काश ! वहां ले जाने वाली लिफ्ट हुआ करती . :) "
४.
चुन्ना भाई नवीन भट्ट ने मेरी इस प्रकार सराहना की :
" विधाता की लिफ्ट भी निरन्तर चल रही है ,कभी ऊपर कभी नीचे ,लिफ्ट के माध्यम से आपने बड़ी गहन दार्शनिक बात कहदी ---- सुंदर पोस्ट "
५.
पल्लव ने तो पूछ ही लिया :
" मुसाफ़िर जाएगा क़हां ?"
६.
और जीजी ने एक दार्शनिक बात कह दी इसी पोस्ट पर :
" उम्र बीत गई गन्तव्य नहीं पासकी यही अफ़सोस है । ---------जीजी
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ब्लॉग पोस्ट का प्रकाशन और लोकार्पण :
जयपुर : गुरुवार १९ जुलाई २०१८.
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