मेरा स्टेटस :
जब भी फेस बुक खोलता हूं एक ही बात :
" वाट इज इन योअर माइंड ?"
इसी के जवाब में कभी कबार बल्कि रोज बरोज कुछ न कुछ मांड देता हूं .
ये ही है आज की दुनिया के साथ संचार की कहानी .
कुछ बातें मेरे अपने जानने वालों तक पहुंचती हैं , कुछ पहले से अनजान लोगों तक पहुंचती हैं और वो मेरे जानने वाले बन जाते हैं . कुछ बातें पुराने जानने वालों तक पहुंचती हैं और वो नए सिरे से जुड़ जाते हैं . कुछ बातें बट्टे खाते में भी जाती होंगी ही जिसके लिए ये ही कहा जाएगा कि इन बातों को यहां दर्ज करने की जरूरत ही क्या थी . सेंसर बोर्ड की इस बारे में लगातार चेतावनी भी मिलती है जिसे मैं ख़ुशी से झेलता हूं .
बहुत सी बातों को भूलना चाहता हूं पर भूल नहीं पाता , बहुत सी बातों को याद करने की कोशिश करता हूं पर उनमें कोई कोई ख़ास नुक्ता याद ही नहीं आता . पता नहीं ये मेरे साथ ही होता है या सब के साथ होता है . वस्तुस्थिति क्या है ये तो आप बताएंगे , मैं कैसे बताऊंगा .
एक और झंझट है -- एक बात देखकर दो बात याद आ जाती है . करूं क्या मैं उन बातों का ? उन बातों को दर्ज कर देता हूं . फिर चाहे तो वो बातें जाए बट्टे खाते में .अपने आप से कहता हूं " दर्ज कर और भूल जा."
बुद्धिमान लोग बताते हैं कि प्रायः साठ के पार ऐसा ही होता है . बहरहाल मैं तो मूर्ख हूं इस स्थापना को कल सुबह की पोस्ट में स्पष्ट करूंगा .
अभी कुछ एक बातें कहे देता हूं :
मैं कोई किस्सा गढ़ता नहीं , आप बीती और आँखों देखी प्रामाणिक बातें ही कहता हूं .
भरपूर कोशिश करता हूं कि कोई किसी को आहत करने वाली बात मेरी ओर से दर्ज न होवे . फिर भी ऐसा हो जाता है कि लोग आहत हो जाते हैं . उसका भी स्पष्टीकरण और समाधान करता हूं . इतना अवश्य है कि भली कही बात को पढ़ने सुनने वाले एक जैसा नहीं समझते . तभी तो नीलम शर्मा बार बार दोहराया करती हैं ,' आप कैसे देखते हैं ? '
तो आज मैं भी उसी सवाल के साथ प्रातःकालीन सभा स्थगित करता हूं ............' आप कैसे देखते हैं? '
अभी हाल तो ये ही है स्टेटस .
सुप्रभात . ☀️
समीक्षा : Manju Pandya.
ये एक चलताऊ स्टेटस आज दर्ज की है ब्लॉग पर , चर्चा में तो बात थी तीन साल से । ये शायद सब कोई की कहानी है ।
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