सोने से पहले आज की पोस्ट :
सच क़हूं सब तरफ़ अथाह ज्ञान बिखरा पड़ा है और लोग सोशल मीडिया पर विभिन्न उपक्रमों को माध्यम बनाकर आई गई चीज़ को इधर उधर ठेलने में लगे हैं ।
लोग बग़ैर कुछ देखे परखे संदेशों को अग्रप्रेषित करते रहते हैं । मेरे लिए तो इन आए संदेशों को झेलना मुश्किल होता जा रहा है । सयाने लोग एक से ज़्यादा फ़ोन नम्बर रखते हैं और वाट्सएप नम्बर हर किसी को देते भी नहीं । मूर्खों के सम्प्रदाय , याने मेरे संप्रदाय , में ऐसा नहीं होता । जिसे नम्बर मिल गया वो अपना बचा क़ुचा ड़ेटा जाने क्यों मुझपर ही न्योछावर कर देता है ।
जो देखो जो कोई ग्रुप बना लेता है और महाराज ज़माने भर के चले संदेश इधर आ धमकते हैं । कुछ मामलों में तो मुझे यहां तक शक होता है कि मेजने वाले ने इसे ख़ुद भी बाँचा है के नहीं ।
अब सोशल मीडिया पर बने रहना है तो ये सब तो उसके साथ जुड़ा हुआ नफ़ा नुक़सान दोनों है जैसा भी आप समझो ।
और आगे करेंगे बात इस बाबत , अब इस मामले में कुछ न कुछ तो करना ही है ।
भिवाड़ी
२८ जुलाई २०१७ ।
ब्लॉग पर प्रकाशन और लोकार्पण : २८ जुलाई २०१८.
आजकल तो भारत की जनता के पास तो यही काम रह गया है l
ReplyDeleteव्हाट्सएप नम्बर लिए नहीं कि आतंक फैलाये रखते है
बिना वजह अपनी फोटोज , ज्ञान धकेलने लगते है
मेरा विचार है कि कुछ अच्छा है तो स्टेट्स पर लगाओ , जो देखना चाहेगा देख लेगा , जबर्दस्ती तो नही होगी कम से कम
सुप्रभात ����️��️��������
आभार सुरेंद्र ।
Deleteआज फिर एक बार फिर उछाल दिया ये मामला । स्थिति तब से ज्यादा ही विकट हुई है ।
ReplyDeleteआज फिर एक बार फिर उछाल दिया ये मामला । स्थिति तब से ज्यादा ही विकट हुई है ।
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