Wednesday, 4 July 2018

बनस्थली की रेल यात्रा : चाकसू स्टेशन .

बनस्थली यात्रा :एक आध प्रसंग याद आ गए .


                                                  ये उस जमाने की बातें हैं जब बीकानेर एक्सप्रेस से पहले छोटी लाइन की गाडियां लोहारू से सवाई माधोपुर जाया करती थीं . हम लोग भी उस जमाने में बनस्थली निवाई स्टेशन जाने को इस रुट की गाड़ी कभी कभार पकड़ा करते थे .


एक बार की बात मैं बनस्थली जाने को ट्रेन से यात्रा कर रहा था . मैं तो उस दिन अकेला था , परिवार या कोई साथी नहीं था साथ में . सहयात्री परिवार शायद लंबी दूरी की यात्रा करने वाला था . उन दिनों दिल्ली - बम्बई रूट की फ्रंटियर और जनता नाम की गाड़ियों में लोग इसी गाड़ी से सवाई माधोपुर जाकर सवार होते थे . सहयात्री परिवार को भी शायद बम्बई ( आज का मुम्बई ) जाना था . कंपार्टमेंट में काफी जगह खाली थी , सब बड़ी सुविधा से बैठे थे . इस परिवार का बहुमत था , मैं था अकेला अल्प मत लोक सभा में राष्ट्रपति के नामजद सदस्य की मानिंद , मेरी पटरी बहुमत परिवार से भी ठीक बैठ रही थी , थोड़ी बात चीत भी हुई थी सब कुछ ठीक ठाक .


चाकसू स्टेशन आ गया :

   - स्टेशन आने से पहले सहयात्री परिवार के मुखिया कम्पार्टमेंट के दोनों ओर के दरवाजे इस तरह से बंद कर आए कि कोई आगंतुक बाहर से न खोल सके और स्टेशन से ट्रेन आगे बढ़ जाए . इन की आगे की यात्रा इसी शांति और आनंद के साथ संपन्न हो . मुझे उनकी इस हरकत में " हाई सोसाइटी सिंड्रोम " की बू आ रही थी .

थोड़ी ही देर को गाड़ी स्टेशन पर रुकती थी . गाड़ी रुकी , प्लेटफार्म पर भीड़ भाड़ थी .लोग इस डब्बे में भी आने को इच्छुक थे .


अपनी कहूं , मेरी पटरी ऐसे लोगों से भी सही बैठ जाती है जो अभिजन ग्रंथि से ग्रसित होते हैं पर ग्रामीणों से और बढ़िया बैठती है . मेरा मन कैसे माने कि लोग तो आना चाहें और इस डब्बे के दरवाजे बंद रहें .

मैं उठा और प्लेटफार्म की ओर के दरवाजे की दोनों सटकनी हौले से खोल कर आवागमन सहज बना दिया . ऊपर से सह यात्रियों को ये और कहा : 

" मेरे मिलने वाले हैं ."

अब इस प्रकार के लोग आ गए थे कम्पार्टमेंट में जिनके साथ मैं अधिक सहज अनुभव कर सकता था हालांकि मेरे सहयात्री नहीं . 

जाने क्यों लोग अपनी सुविधा के लिए अन्य लोगों की यात्रा को बाधित कर बैठते हैं , ये मानसिकता प्रायः देखी जाती है .

खैर उस दिन तो चाकसू स्टेशन के बाद मैं अपने जनवाद के विचार के साथ बहुमत स्थापित करने में सफल हो ही गया था .

शीर्षक में एक आध प्रसंग कहा था. ये तो एक ही प्रसंग हो पाया. 

आगे कुछ एक प्रसंग और भी बताऊंगा पर अभी प्रातःकालीन सभा स्थगित ....


सुप्रभात .

समर्थन और समीक्षा :Manju Pandy.

आशियाना आंगन , भिवाड़ी.

7 जुलाई 2015 .

ब्लॉग पर प्रकाशित  जुलाई २०१८.



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