Tuesday, 10 January 2017

राजस्थानी बोध कथा

    राजस्थानी बोध कथा :🌻

आशियाना आँगन , भिवाड़ी से नमस्कार 🙏
सुप्रभात 🌹

कोई छोटी पोस्ट के बहाने से सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को ये एक बोध कथा मांड रहा हूं . हो सकता है ये पहले से सुनी हुई हो पर कहानी है शिक्षाप्रद इतना तय है .
कथा :
----     कथा ये है कि बंदर मेह में भीग रहा था और बया पक्षी अपने घोंसले में सुरक्षित बैठा था . ये पक्षी तिनका तिनका जोड़कर बेजोड़ घोंसला बनाता है ये तो सब कोई जानते हैं .
बंदर को भीगता देखकर बया ने उसे सीख दी :

" हाथ तेरै , पाँव तेरै , मिनख की सी देह रै ,
  तू क्यूँ भीज़ै बाँदरा ? तेरै माथै बरसै मेह रै ।"

नतीजा वही निकला जो किसी उड़कचुल्लू को सीख देने से निकल सकता है .
बंदर ने क्रोधित होकर बया का घोंसला तोड़ दिया , सीख लेना तो बहुत दूर की बात .

इसी पर कहा गया है :

" सीख ताकों दीजिए जा कों सीख सुहाय रै ,
बाँदरा नै  सीख देतां घर बया को जाय रै ।"

बंदर को सीख देने में बया का तो घर ही नष्ट हो गया .

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- सुमन्त पंड़्या .
   @ आशियाना आँगन , भिवाड़ी .
   बुधवार ११ जनवरी २०१७ .

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