Sunday, 22 January 2017

जमादार साब 🚴

     जमादार साब  :

उस दिन न जाने किन दबावों के चलते मैंने  साथियों का आग्रह मान लिया था कि मैं बनस्थली  विद्यापीठ कर्मचारी बचत एवं साख सहकारी समिति का  अध्यक्ष बन गया . अगले दिन सुबह  अनेक इष्ट मित्रों का रास्ते भर अभिवादन  स्वीकार करना पड़ा जब मैं  पक्के क्वाटर  से कच्चे  क्वाटर तक काम से गया . सारे रास्ते मित्रों से मिलते और बात  करते गया तो  बचपन में सुनी बिल्ल्या काजाजी की,  बात याद हो  आई .

पात्र परिचय : उनका नाम वैसे तो  विजय कृष्ण था  पर वे घर के नाम बिल्ल्या के रूप में जाने और पुकारे जाते थे . क्रॉनिक बैचलर  बिल्ल्या काकाजी समय समय पर कई प्रकार के काम कर चुके थे , इस बार वे म्युनिसिपालिटी में जमादार  नियुक्त हो गए थे  .  बिल्ल्या काकाजी कभी किसी भाई के तो कभी किसी भाई के यहां  गेस्ट ऑफ़ ऑनर होते .  उस दिन वो  पहली पहली बार  म्युनिसिपालिटी के दफ्तर जाकर लौटते हुए हमारे घर आये थे . वो यहां आकर बोले : "आ हाथ मैं दरद थई  गयो ."  अर्थात् उनके हाथ में दर्द हो  गया था. दर्द हो जाने की उन्होंने बड़ी वाज़िब वजह भी बताई  जो इस प्रकार थी : " दफ्तर थीं  चाल्यो तो रस्ता मैं लोग मळता  गया , जमादार साब - जमादार साब कहता गया , सलाम झेलतां झेलतां म्हारो  हाथ  दूखी आव्यो ."
           अभिप्राय यह था कि जब वो  दफ्तर से चले तो  लोग जमादार साब - जमादार साब  कहकर उनसे मिलते गए और  उनके  सलाम झेलते झेलते  बिल्ल्या काकाजी का हाथ दुःख गया . बात समझ में आने वाली थी . उनके हाथ के दर्द का सम्बन्ध उस पद भार से  था जो उनपर आन पड़ा था .

उस दिन सोसाइटी  का चेयरमैन  क्या बन गया  मुझे भी इतने लोगों का   सलाम झेलना पड़ा , मुझे लगा कि वाकई  ऐसे हाथ में दर्द भी हो जाया करता है . इतनी सलाम मिले तो झेलना जरूरी और  नतीजे में हाथ दर्द लाजिमी .
वो भी क्या दिन थे बनस्थली में  दोस्तों ने कह दिया था आप तो आम सभा की अध्यक्षता कर लेना बाकी सब हम लोग देख लेंगे . कैसे कैसे प्रसंग आये पर निभ गई अपनी भी  .
समीक्षा : Manju Pandya .
#सोसाइटी की बातें .

सुप्रभात
Good morning .

सुमन्त
गुलमोहर , शिवाड़  एरिया , बापू नगर , जयपुर .
23 जनवरी 2015 .

1 comment:

  1. #स्मृतियोंकेचलचित्र #बनस्थलीडायरी #sumantpandya

    आज इन पुरानी स्मृतियों के साथ आशियाना आँगन , भिवाड़ी से सुप्रभात 🔔🔔🔔🔔
    नमस्कार 🎌
    सोमवार २३ जनवरी २०१७ .. .

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