Sunday, 29 January 2017

लड़की को पढ़ाया : बनस्थली डायरी 💐

     लड़की को पढ़ाया तो भी क्या  ?

एक दिन बनस्थली में अचानक एक नौजवान मेरे  घर आया जो दिल्ली पुलिस का अधिकारी था , उसने अपना परिचय तो  बाद में दिया पहले पूरा झुककर मेरे पांव छुए . ऐसे  नहीं जैसे घुटना छूकर आजकल लोग सम्मान जता देते हैं . कोई मिलने आए यह तो हम लोगों को  बहुत अच्छा लगता पर  पुलिस वाला घर आए तो अटपटा तो लगता ही  है , एक दिन निवाई थाने  का सिपाही एक मोटर साइकल  दौड़ाता वॉरेंट लेकर चला आया था उसकी याद अभी ताजा थी ,  जितनी देर इस सुन्दर नवयुवक का परिचय न मिला मुझे तो वही प्रसंग याद आता रहा और  कौतुहल बना रहा . परिचय मिलने के बाद भी प्रश्न बना रहा  कि पुलिस वाला क्यों आया और ऐसा  व्यवहार  भला क्यों कर रहा है जब कि कोई पूर्व  परिचय भी नहीं है .  सारा  माजरा तब समझ में आया जब थोड़ी देर बाद जाली का किंवाड़ हटाकर  गीता अंदर दाखिल हुई , गीता कुछ ही समय पहले  हमारे पास पढकर गई थी  , उसने एम फिल तक की पढ़ाई पूरी की थी और इस नौजवान से उसका विवाह हुआ था . अब ये दोनों  44 रवीन्द्र निवास में मिलने आए थे  और हमारे सामने बैठे थे .  जीवन संगिनी  ऐसा जोड़ा पाकर खुश थी  और उनकी आवभगत कर रही थी .
हमारे   साथी  एस बी माथुर साब प्रायः  लड़की से पूछते ,' कहां है तुम्हारा डैम
फूल ?'   जब उसका मंगेतर आया होता  और दूसरी सांस में मुझसे कहते , ' यार क्या करें आगे चलकर  उसे ' कंवर साब ' कहना पड़ता है .  मुझे अब लगने लगा था  कि लड़की  के कारण ही तो यह लड़का भी तो हम से जुड़ गया है . ये सम्बोधन की बात तो केवल  शिष्टाचार  और आत्मीयता है  , दामाद भी तो अपना ही बच्चा है , उस पर भी वैसा ही भरोसा किया जा सकता है .
गीता ने जिस तरह अपने पति को आगे आगे मेरे घर भेजा , मुझे लगा लड़की को पढ़ाया तो  भी क्या बात लडके का भी तो दिल जीत लिया इस माध्यम से .
जाते जाते यह युवक बोला :" सर , कभी दिल्ली आओ तो सौ  नंबर पर फोन करके रामनिवास को बुला लेना , आप जहां भी होंगे मैं आकर मिलूँगा .'
समर्थन :1 Manju Pandya .

सुप्रभात
Good morning .

सुमन्त
गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .
30 जनवरी 2015 .
#बनस्थलीडायरी
#स्मृतियोंकेचलचित्र

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