कोई अस्सी का कहवे कोई कहे पिच्चासी का : भिवाड़ी डायरी
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अभी लिफ़्ट के इर्दगिर्द चर्चा चल ही रही है , आज आगे बढ़ाऊँगा उसे . पर उसी क्रम में एक छोटी सी बात निकल के आई वो अभी हाल यहां मांड देता हूं .
हमारे देश में , ख़ास तौर से देहात में , आज भी सैल्यूटेशन इन दो बातों से तय होता है - बिरादरी और उमर . बिरादरी की बात अभी छोड़ते हैं वरना बात बग़ैर बात लम्बी हो जाएगी अभी तो उमर की ही बात करते हैं :
कल और परसों यहां अनायास मिले पाँचू लाल जी जिनसे हुआ संवाद ही आज की चर्चा का प्रस्थान बिंदु है .
उन्होंने छूटते पहले मेरी बिरादरी पूछी और मेरी उमर के बारे में अपना अनुमान भी बता दिया . बिरादरी अभी विचाराधीन नहीं है अतःसीधे दूसरी बात पर आते हैं , वो बोले :
“ अस्सी एक साल की होगी आप की उमर बाबा ?”
अब आप जाणो मैं उनके अनुमान को क्यों ठुकराता , मैंने तो उनका आभार ही व्यक्त किया . मैं बोला :
“ बड़ी मेहरबानी आपने मुझे बारह बरस और दे दिए .” बंदा तो ख़ुश हुआ उनकी बात सुनकर कि सुपर सीनियरों की सोहबत में हो गया अपना बेड़ा पार . ख़ैर , ये तो बात हुई परसों . अब कल की बात .
कल सुबह सीनियरों की बैठक में मैंने उनकी नज़र से अपनी उमर की परख करवाई तो मेरे हम उमर गुलाब सिंह जी बीचमें बोलने को उद्यत हुए , मैंने उन्हें रोका कैणे आप तो मुझे जानते हो और किसी को बताने दो करके .
अब यहां बुज़ुर्गवार ने मेरी उमर बताई -- पिच्चासी . मैंने उनका भी आभार व्यक्त किया कि आपने मुझे सत्रह साल और दिए , क्या कहने .
अब मुझे समझ आया कि इन दिनों आशियाना में सीनियरों की बैठक में प्रायः अध्यक्षता का अवसर मुझे ही क्यों मिल जाता है . ये तो हुई एक बात फिर एक छोटी सी बात .
शाम को , कल, गुलाब सिंह जी मुझसे पूछ रहे थे ,” आपने अपने आप को मेनटेन कैसे किया ?”
जबकि उधर परसों पाँचूलाल जी कह गए थे ,” कमज़ोरी बहुत आ गई !” मानों मुझे पहले से जानते हों और क मोटा तगड़ा देखा हो .
इधर मुझे याद आती है अपने फीज़िशियन की कही बात , “ लाइफ़ बिगिंस एट सिक्स्टी .”
मैं तो अपनी दूसरी पारी खेल ही रहा हूं
सुप्रभात
नमस्कार
सुमन्त पंड़्या .
@ आशियाना आँगन भिवाड़ी .
गुरुवार ५ जनवरी २०१७ .
आपकी त्वचा से आपकी उमर का पता नहीं चलता
ReplyDeletehahahahaha
बढिया ही है यदि लोग मुगालते मे रहे
आभार सुरेंद्र 🌹 आपने ब्लॉग पर कमेंट दिया . और भी क़िस्से मिलेंगे यहां .
ReplyDeleteब्लॉग तक पहुँचते तो हैं लोग पर प्रायः कोई टिप्पणी नहीं करते .😀🎈
ReplyDeleteलोग ब्लॉग तक पहुंचते भी हैं और मिलने पर उस बात की तारीफ़ भी करते हैं । अविनाश दास इस बार मिले तो ये बात साफ़ हुई ।
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