Wednesday, 1 November 2017

कुण कै  लागी लाय  ? - फ़ेसबुक डायरी 

कुण बोया कुण काटिया , कुण कै लागी लाय ………

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#कुण_बोया_कुण_काटिया


परसों शाम से ये नाटक मेरे फेसबुक खाते पर शुरु हुआ है , देखते हैं उसका समाहार हो गया है या के अब हुआ जाता है . इस बारे में जो कुछ मुझे कहना है वो ही अब कहे देता हूं .


जैसा ब्लाकेड हुआ वो सीमित ही था / है , मेरे चीजें पोस्ट करने पर कोई पाबंदी नहीं रही . हां ये जरूर हुआ कि कोई तस्वीर मैं पोस्ट न कर पावूं और न ही किसी को टैग कर पावूं . वैसे ही मैं तस्वीरें पोस्ट करने का बहुत आदी नहीं हूं , किसी ख़ास बात की पुष्टि में ही तस्वीर साझा करता हूं . मेरे पास दिखाने को ऐसी तस्वीरें हैं ही कौनसी . जीवन संगिनी #मंजु_पंड्या जिन्हें मैं अपना निजी सेंसर बोर्ड कहता हूं मुझे टोकती ही हैं कि मैं तस्वीरों से न टरकाउं और जो कहना है शब्दों में कहूं .

हां , कठिनाई तब आई जब किसी को टैग करने पर भी पाबंदी लग गई .

अब ये फेसबुक वाले , अकल से पैदल , समझते तो हैं नहीं अगर सेंसर बोर्ड को टैग नहीं किया तो मेरी लेखनी उल्टे बेलाग नहीं हो जाएगी . खैर जो हुआ सो हुआ ……… आगे देखते हैं क्या होता है .

2.

इस ब्लॉकेड के बाद आप सब कोई ने मुझे जो सहारा दिया और हिम्मत बंधाई उसके लिए आभार कहना बहुत छोटा भुगतान माना जाएगा . मैं आभार न कहकर अनंत आशीर्वाद कहूंगा मेरी लड़कियों को और सादर प्रणाम साथियों को . फेसबुक मुझे जिन सामुदायिक मर्यादा नियमों को देख लेने की बात कह रहा है वो और उसके भारत में बैठे नुमाइन्दे देखें इस मित्र समुदाय और उसकी भावनओं को .

3

अपनी टूटी फूटी अंग्रेजी में मैंने तीन सवाल दागे थे फेसबुक संचालकों की ओर जो मोटे तौर पर इस प्रकार थे ~

         1 मेरे लेखन में अभद्र और गाली गलोच वाली या आहत करने वाली~~~ क्या बात पाई गई ?

         2 मेरी शिकायत किसने की ? जिसको ही थोड़ी चुभती हुई बात 

             बनाया है कि किसके लाय लगी ? फेसबुक पर मेरे तो दोस्त हैं,  

              दुश्मन तो कोई नहीं .

         3 कि ये पाबंदी कब हटेगी ?


  फेसबुक से तो कोई जवाब नहीं आया पर आप सब ने इसका स्पष्टीकरण दे ही दिया है . इसके लिए सभी फेसबुक मित्रों को साधुवाद .

   

बातें तो बहुत है कहने की पर उपलब्ध समयावधि समाप्त हो रही है .

सुप्रभात .

प्रातःकालीन सभा स्थगित…..

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सुमन्त पंड्या .

साझा : Manju Pandya

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@ आशियाना आंगन , भिवाड़ी .

2 नवम्बर 2015 .

~~~~~~~ अथ श्री ब्लॉकेडाय नमः ……...

त्वरित प्रतिक्रिया मिली सत्यानंद निरुपम की 

साभार उद्धृत  —

“  ॐ शांति: शांति: शांति: 

सर्वे लिखन्तु बेखटके सर्वे टैगन्तु खुल्लमखुल्ला: 

सर्वे पढ़न्तु बेप्रॉब्लमे सर्वे एन्जॉय अघा-अघाय: 

अंकल जी, मैंने प्रार्थना की है अभी। अब वो क्या है कि समझदार को तो ईश्वर भी समझा लेते हैं। मूर्ख को सिर्फ परिस्थितियां समझा पाती हैं। अगर फेसबुक समझ जाए तो मान लिया जाएगा कि वह समझदार है। वरना क्या है कि अब रहना तो इन मूर्खों के राज में ही है ;) सो एक भजन सुनिए- रहना नहीं देस बिराना है... अंकल जी, मिलते हैं ब्रेक के बाद। जरा दफ्तरी अलार्म बज गया है :)  “

प्रियंकर पालीवाल ने लिखा  

साभार उद्धृत —

“  ज़ुरूर कुछ तकनीकी चक्कर होगा . वरना आप जैसे अजातशत्रु को ब्लॉक करने और करवाने वाला कौन पैदा हो गया . “

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आज ये क़िस्सा ब्लॉग पर प्रकाशित किए देता हूं  , ये एक बानगी है दो बरस पहले हुए रम्बाद की .

ये रम्बाद कई दिन तक चला था वो और बातें भी आगे दोहराऊँगा .

जयपुर 

गुरुवार २ नवम्बर २०१७ .

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