ये गए बरस की बात है —
अच्छे दिनों की सौगात लेने को कतारबद्ध है सारा देश .
उधर ट्रॉल्स हैं कि पिले पड़े हैं , कह रहे हैं आम जन का आत्मविश्वास लौटेगा . इत्ते दिन तो हो गए कैसे लौटेगा ' आत्म विशवास ' ?
ऐसे भब्भड़ में सीनियर सिटीजन अपनी मट्टी कुटवाए ?
आशियाना से सुप्रभात 🌹 नमस्कार 🙏 .
आप जाणो देश तो बदल ही रहा है .
तरकीब से बताऊं :
ये लोग सुबह से सत्यनारायण की कथा का प्रसाद लेने को खड़े हुए हैं . देखें कुछ जुगत बण जाय .
पट जब खुलेंगे तब खुलेंगे !
- सुमन्त पंड्या .
मंगलवार 29 नवम्बर 2016 .
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व्यथा कथा आज ब्लॉग पर प्रकाशित :
जयपुर
बुधवार २९ नवम्बर २०१७ .
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