Thursday, 23 November 2017

उत्तरवर्ती थान कथा - भाग दो  : बनस्थली डायरी *

साझा Banasthali Pariwar & others .~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ #बनस्थलीडायरी उत्तरवर्ती थान कथा : भाग दो .

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 इस कथा के भाग एक में मैंने बताया था कि पप्पू की मार्फ़त मुझे दूसरी बार जुलाहे का बनाया देशी रेजी का थान मिला , मैंने सरगम गारमेंट्स वाले राजू और रामू की मदद से इस बार सफारी सूट बनवाया और इस प्रकार नए थान का श्री गणेश हुआ . इसी सफारी को पहनकर मैं महिमा के स्कूल में मुख्य अतिथि की भूमिका निभा आया . अभी इस थान से एक प्रीमियर प्रोडक्ट बनना बाकी था जो भी तैयार हुआ और उसकी कहानी भी सुनाने लायक है .


  सरगम गारमेंट्स के बारे में :

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 जब तक मैं बनस्थली में सेवारत रहा राजू और रामू मेरे लिए अनुकूल खादी के वस्त्र सिलवा दिया करते थे . नाप जोख का काम ये दोनों भाई या इनमें से कोई एक करता और बेहतरीन सिलाई इनके कारीगर कर देते .

ये मेरे सेवाकाल के अंतिम दौर की बात है . मेरे उधर से चले आने के बाद अब तो उन्होंने सिलाई का काम लेना बंद ही कर दिया और अब सिले सिलाए कपड़े ही बेचना शुरु कर दिया . पर मैं जब तक बनस्थली में रहा इन दोनों का बड़ा सहारा रहा . मेरे लिए तो वो कहो जो काम ओढ़ लेते वो भी बताऊंगा पर आगे वरना तो उस प्रीमियम प्रोडक्ट की बात छूट जाएगी जो आज के लिए लक्षित है .


प्रीमियाम प्रोडक्ट : ठंडी जवाहर जाकट :

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बड़ी कारीगरी से इन भाइयों ने मुझे जवाहर जाकेट तैयार करवाकर दी .

इसी तर्ज पर कुछ समय पहले पप्पू राष्ट्रपति कलाम को जाकेट तैयार कर पहना चुका था और देशी उत्पाद की सराहना पा चुका था .

मैं तो इन दो भाइयों को थान देकर आ गया था और कह आया था :

“ किसी आते जाते के साथ जाकेट भिजवा देना , जब भी तैयार होकर आवे .”

गणित वाले पांडे जी भी सरगम के ग्राहक थे , एक मंगलवार की शाम वो निवाई से आए और मुझे फोन किया कि मेरे लिए निवाई से कोई चीज लाए हैं . मैं उनके घर गया . उन्होंने मुझे पूरब दिशा की और मुखातिब होने को कहा और एक पोशाकी की तरह जाकेट पहनाई . फिर तो मैं ये वस्त्र धारण कर ख़ुशी ख़ुशी घर आया 44 रवीन्द्र निवास .

इस सन्दर्भ में एक बात और याद आती है , जब सरगम गारमेंट्स वालों ने नई नई दूकान खोली थी तो एक छुट्टी के दिन कुलश्रेष्ठ जी ने मुझे उस दूकान के पट्टे पर खड़ा किया और दोनों भाइयों से कहा :

   “ सर का एक अच्छा सा जोड़ सिल दीजिए आप को बनस्थली के बहुतेरे ग्राहक मिल जाएंगे .”

और सचमुच हुआ भी ऐसा ही कुछ .

अभी थान भी बहुतेरा बच गया था और इस वस्त्र की लोकप्रियता भी अभी और परवान चढ़नी थी पर वो आगे बता पावूंगा …  

ये प्रीमियम प्रोडक्ट तो मेरी देशी वारड्रोब का हिस्सा बन गया था .

प्रातःकालीन सभा स्थगित .

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सुमन्त पंड्या .

सहयोग और आग्रह : Manju Pandya

   @ आशियाना आँगन , भिवाड़ी .

    24 नवम्बर 2015 .

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दो बरस पहले भिवाड़ी में लिखी थी ये पोस्ट और आप सबने बहुत सराहना की थी , आज इसे फिर से संचित ब्लॉग पोस्ट बनाया है . आप सब का बहुत आभारी हूं और ब्लॉग पोस्ट का लिंक फ़ेसबुक पर जोड़ने का प्रयास कर रहा हूं .


जयपुर 

शुक्रवार २४ नवम्बर २०१७ .

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