सायंकालीन सभा भिवाड़ी से 🌻
नमस्कार 🌹
इनदिनों कुछ आपाधापी है इसलिए बैंक बाबत लिखी मेरी पुरानी पोस्ट खोज रहा था , आज ढूंढें से एक पोस्ट मिली इसमें छापे की कुछ कमी तो है पर इसे पेस्ट और पोस्ट कर रहा हूं .
मौजूदा राष्ट्रीय आपदा के दौरान हिम्मत से काम करते हुए डटे रहने के लिए मैं भारत के सभी बैंक कर्मियों को सलाम करता हूं और ये संस्मरण साझा करता हूं .
ये रकम दो हजार का जिकरा यहां भी है , बड़ा मानीखेज लगता है ये आंकड़ा .
इस संस्मरण में पिछली शताब्दी की बनस्थली की स्मृतियां जुडी हुई हैं .
#स्मृतियोंकेचलचित्र #बनस्थलीडायरी #sumantpandya
सुमन्त पंड्या
@ आशियाना आँगन , भिवाड़ी .
14 नवम्बर 2016
जिसके खाते में दो हजार का बैलेंस नहीं .
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बनस्थली में एक दिन जब एम फिल की क्लास को मैं पढ़ाकर निकल रहा था तो मेरे पास पढने वाली एक छात्रा ने जानना चाहा कि क्या मेरा परिसर में कोई बैंक खाता है । बातचीत कुछ इस प्रकार आगे बढ़ी :
~ सर , क्या आपका कोई बैंक अकाउंट है यहां पर ?
* है , दोनों बैंकों में खाते हैं , दोनों के दोनों एक्सटेंशन काउंटर पर भी खाते हैं , बोलो क्या काम है ?
~ सर , आप मेरा इंट्रोडकशन कर देंगे , मुझे एक ड्राफ्ट का भुगतान लेना है ?
* जरूर , ले आना इसमे क्या बात है ? मैं न केवल खातेदार हूं , अभी तो मैं कोऑपरेटिव सोसायटी का चेयरमैन भी हूं और बैंकर्स उल्टे मुझसे संपर्क करते क हैं लाखों की डिपॉज़िट के कारण ।े
मैंने गर्व से कहा मानो मेरे हस्ताक्षर का बड़ा मोल हो एक बड़ा खातेदार होने के नाते । गीतांजलि का कुल काम ये था कि उसके पास बैंक ड्राफ़्ट कुल दो हजार का जिसका एक राष्ट्रीयकृत बैंक की बनस्थली शाखा से बिना खाता खुलवाए भुगतान ले लेना था ।
गीतांजलि वो ड्राफ्ट लाई , मैंने मुख्य शाखा का अपना खाते का हवाला देते हुए उसका काम कर दिया । हस्ताक्षर कर दिए , एस बी खाते का नंबर डाल दिया । भुगतान मिल गया ये उसने मुझे बताया था और दूसरी बार भी ऐसा ही हुआ था । मेरा उधर जाना कम होता था क्योँकि विद्यामंदिर में एक्सटेंशन काउंटर का खाता ज्यादा काम में आने लगा था।
एक दिन मेरा उधर जाना हुआ । बैंक की प्रधान शाखा में भी मैं चला गया उन लोगों का आभार जताने कि मेरी तस्दीक पर मेरी बच्ची का काम हो गया । प्रसंग आने पर वहां जो पुराने अधिकारी और कर्मचारी थे उनहोंने सुझाव दिया कि मैं एक नए अधिकारी छगनलाल ( बदला हुआ नाम ) जी से भी मिलता जाऊं जिन्होंने गीतांजलि को ड्राफ्ट यह कहकर लौटा दिया था कि भुगतान के लिए किसी और खातेदार से तस्दीक करवा कर लाये । मेरे इंट्रोडक्शन से वे आश्वस्त नहीं थे । इन लोगों ने बीच में पड़कर भुगतान करवाया था जब उन्होंने जाना कि मेरी और से सिफारिश थी । ये लोग चाहते थे कि मैं छगंलालजी से अटकूं ताकि बात साफ़ हो और उसकी तार्किक परिणति हो । जो बात इन लोगों ने बताई वो मुझे पहले पता नहीं थी । छगन लाल जी के लिए खाता संख्या ही मेरी पहचान थी और लैजर देख कर यह तय कर लिया था उन्होंने कि मैं कैसा खातेदार हूं , मैं कौन हूं ये जानने के लिए आज की तरह मेरी तस्वीर भी वहां नहीं थी , वहां तो जमा रकम ही मेरी तस्वीर थी , मेरी हैसियत थी । अब फ्रैंडली एनकाउंटर होना ही था । उन्होंने अपना पक्ष कहा कि जिसके खाते में दो हजार का बैलेंस भी नहीं उसके इंट्रोडक्शन पर दो हजार का भुगतान वो कैसे कर देते भला , कल को इंस्ट्रूमेंट में कोई गड़बड़ पता लगे तो वसूलें किससे ।
छगनलाल जी से मेरा कहना था कि मैं सबसे पुराने खातेदारों में से एक हूं और मेराखाता नियमानुसार ठीक है , मुझपर कोई कर्ज का बकाया नहीं है । रही बात इंट्रोडक्शन की तो मैंने तो पहचान केवल गीतांजलि की की थी , ड्राफ्ट से बाकी मेरा कोई लेनादेना नहीं था , वह उसके पिताजी का बनवाया हुआ था ।
ड्राफ्ट की असलियत को जांचने को तो आप बैठे हैं महाराज , गड़बड़ होने पर मुझसे वसूली की नौबत भला कैसे आती । रही बात जमा रकम की तो मैंने यह भी कहा था उस समय कि मैं क्या कोई जे एम एम सांसद हूं जो मेरे करोड़ों जमा होंगे आपके पास । खैर , अत्यंत सौहार्द्र के वातावरण में चर्चा समाप्त हुई और छगन लाल जी मुझे बोले :
"आज आपसे परिचय हो गया , अब भविष्य में ऐसा कभी नहीं होगा । "
इति प्रातः कालीन सभा
शुभ प्रभात
good morning
7 दिसंबर 2014 .
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भिवाड़ी में सायंकालीन सभा स्थगित ..............
आज ब्लॉग पर प्रकाशित
जयपुर
मंगलवार १४ नवम्बर २०१७ .
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