Sunday, 26 November 2017

बोर नहीं होते आप ?

“ बोर नहीं होते आप ?”

“ आपका मन कैसे लग जाता है ? “

“ दिनभर क्या करते रहते हो ?”


ये कुछ ऐसे स्टीरियोटाइप सवाल हैं जो सेवाकाल समाप्त होने के समय से लोग मुझसे पूछते रहे हैं . पूछें साब , कोई हर्ज नहीं इसी बहाने मुझे आत्माभिव्यक्ति का अवसर मिलता है . पूछे जाने पर कोई आपत्ति नहीं 

दो एक दिन पहले एक देवी जी ने ऐसे क़ई एक सवाल अपनी आत्मकथा \ आत्मव्यथा कहते कहते बीच में मुझसे फिर से पूछ लिए तो उनका मन रखने को थोड़ी देर के लिए मैं बोला पर अभी भी बहुत कुछ कहना बाक़ी रह गया , सोचा इसी मुद्दे पर गुड मॉर्निंग पोस्ट बणा देवूं .


तो अब मेरी सुनिए और अपनी कहिए :

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सिलसिलेवार जवाब .

१.

मेरा बोर होने का स्वभाव नहीं है . मेरी सोहबत में बोर होने के रोग से ग्रसित लोग भी प्रायः ख़ुश हो जाते हैं .

२.

वैसे तो मन बच्चों के साथ लगता है ये सच बात है . साल भर में आधा समय बच्चों के साथ ही बीतता है . इसके अलावा भी मन लग जाता है . कभी कहता हूं हम दो हैं , कभी कहता हूं हम छह हैं . अपने वय के लोग ढूँढ ही लेता हूं जहाँ भी जाता हूं . 

थोड़ी बहुत देश की चिंता जरूर है उस निमित्त लोक शिक्षण का काम करता हूं .

मन लग जाता है .

३.

दिन भर में घर बैठकर करने के , बाहर जाकर करने के हज़ार काम होते हैं . 

कभी अपनी एक दिन की दिनचर्या पर पूरी इबारत लिखूंग़ा तो ये बात बहुत अच्छे से स्पष्ट होवेगी .


आज के लिए चलताऊ पोस्ट तैयार हो गई . बस इतना कहकर विराम लूँ कि कोई मुझे फ़ालतू न समझे .


नमस्कार .🙏


गुलमोहर कैम्प , जयपुर .

सोमवार २७ नवम्बर २०१७ .

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ब्लॉग पर प्रकाशित :

जयपुर 

२७ नवम्बर २०१७ .

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