Wednesday, 17 May 2017

बातें - मेरी कहावतें और उनका तालमेल : स्मृतियों के चलचित्र 



बातें मेरी कहावतें और उनका तालमेल :  स्मृतियों के चलचित्र 

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(1) " एक प्रैशर कुकर में सब काम हो जाता है भाई साब !"


(2) "एक सार्टिफिकेट में ही सब काम हो जाएगा भाई साब , बार बार का चक्कर ख़तम ."


बातें याद आ जाती है , कहां की बात का मेरे मानस में कहां ताल मेल बैठता है कुछ समझ नहीं आता पर वही बताने का प्रयास करता हूं .


पहली स्थापना डाक्टर विनोद जोशी की दी हुई है और ये उस जमाने की है जब फोर्स्ड बैचलरहुड के दौर में वो किचन में मेरे सहायक बन जाते थे .

उन की मदद से तो मैंने दो विशिष्ट स्वजनों को बुलाकर दाल बाटी की दावत का आयोजन कर दिया था और इस प्रकार गैस तंदूर का उदघाटन समारोह 44 रवीन्द्र निवास में सुसम्पन्न हुआ था .

जोशी दलिया , दाल , सब्जी , उचित मसाले चिकनाई और बहुत कुछ डाल कर तहरी जैसा कुछ बनाते और उसे ही खाकर खुश हो जाते .

उस दौर में उन्होंने स्थापना दी थी :

" एक प्रैशर कुकर में सब काम हो जाता है भाई साब ."

ये स्थापना मुझे हमेशा ही अच्छी लगती है .

"एकै साधै सब सधै ...."

जोशी कर्मठ व्यक्ति हैं और उन्होंने इस डिश की कंटेंट वैल्यू का भी विश्लेषण किया था जो अब मुझे पूरा याद नहीं और इतना साइंस मैं पढ़ा भी नहीं ... खैर ....आगे बात करे .


दूसरी कहन पर आवें .

रुपल्ली दुपल्ली का भुगतान देने को लोग लाइफ सार्टिफिकेट मांगते हैं साल दर साल . मैं जीवन के दार्शनिक प्रश्नो में उलझकर ये काम अक्सर भूल जाया करता हूं और बाद में जाकर बड़े आदमी से प्रमाणित करवाता हूं कि मैं हूं . मैं अपने निजी "अहंकार" में प्रायः कह बैठता हूं ,

" अभी तो हम हैं " मेरी अपनी टेक है , आप इसका बुरा न मानें .

वैसे बड़ा आदमी खोजने को घर से बाहर नहीं जाना पड़ता , आज भी छोटा भाई ही बड़ा आदमी है और उसके पास एक मोहर भी है . ये दुनिया तो मोहर को ही मानती और पहचानती है .


अब आवें मुद्दे पर .

पार साल ऐसी नौबत आ गई थी कि

" एक सार्टिफिकेट में ही सब काम हो जाता है भाई साब , बार बार का चक्कर ख़तम........"

मुझे याद आए प्रोफ़ेसर वीं डी सिंह जो विनोद के पास जब आते हैं तो डैथ सारफिकेट बनाने को ही बोलते हैं , ये उनका स्टाइल है .


खैर ये नौबत गए साल भिवाड़ी में आई थी और अच्छा ही हुआ , तमाम बच्चे न्यूनतम समय में इकठ्ठा हो गए , भाई बहन डाक्टर भतीजा डाक्टर मित्रजन हॉट लाइन पर आ गए . भिवाड़ी से मानेसर के रॉकलैंड अस्पताल तक लेकर दौड़े मुझको .

बहर हाल वो सार्टिफिकेट हांसिल नहीं हुआ जिसका स्थापना में उल्लेख है . अपनी कदर भी पता लगी . जीवन संगिनी तो अनेक आशंकाओं से घिर गई पर मुझे तो पता था " पिक्चर अभी बाकी है ..." हालांकि युवा डाक्टर बड़े अच्छे थे भिवाड़ी में और उन्होंने पूछा था , " सच्ची सच्ची बताओ....." करके और मैंने भी खुल्लम खुल्ला यही पूछ लिया था ," रिजाइन करने का बखत आ गया क्या डाक्टर साब .... ?" पर अपन ऐसे न जाने वाले , अभी बहुत काम बाकी है .

अब आप लोग जो समझो वो समझो . जो बात है सो तो हई ए है .


प्रातःकालीन सभा स्थगित.

इति.

सुप्रभात 

सन्दर्भ और आलोचना के लिए अग्र प्रेषित :


Yogmaya Mathur

Lata Joshi

Vohita Joshi.

इन्हें कुछ याद आवे पुरानी बातें और किसी तरह विनोद जोशी तक भी बात पहुंचे क्योंकि उन्हें तो फेसबुक जैसी चीजों के लिए फुरसत है नहीं .-- सुमन्त .


सुमन्त


गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .

18 मई 2015 .

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फ़ेसबुक पर चर्चित रही पोस्ट आज ब्लॉग पर साझा ।

दिल्ली

गुरुवार १८ मई  २०१७ ।

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