Tuesday, 9 May 2017

छोटा वाला मेरे थक्के  - दो : बनस्थली डायरी  ।


छोटे वाले का अब का फ़ोटो  उसकी प्रोफ़ाइल से ले तो लिया है  पर बात तो बहुत पुरानी है ।

छोटा वाला मेरे थक्के : भाग दो . बनस्थलीडायरी

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ये तब की बातें हैं जब मैं बनस्थली में काम किया करता था .

अब बताता हूं फिर आगे की एक बात छोटे वाले बाबत बात . 


छोटे वाले के बारे में उस दिन पोस्ट बनाई उसकी ही पूरक बातें लिखूंगा .


जब यह चलने और बोलने लायक हुआ था तो प्राथमिक विद्यालय से 

निमंत्रण आ गया था कि इसे बाल मंदिर भेजा जा सकता है . शायद उनको बच्चों की जरूरत थी , हमें तो इसको स्कूल भेजने की इतनी जल्दी नहीं थी . जब बुलावा ही आ गया तो भेज दिया स्कूल .

गया दो चार दिन स्कूल और एक दिन अपने से ही एक निर्णय लेकर पूरे सत्र के लिए छुट्टी ले आया . बड़ी जीजी माने प्रिंसिपल कुसुम जी से कह आया ," मैं अगले साल आऊंगा."

नया सत्र आया और फिर से जब दाखिला करवाया तो आवेदन सबसे छोटी कक्षा ' शिशु जूनियर' के लिए ही किया हम लोगों ने पर मैं मान गया प्रिंसिपल साहबा को जब उन्होंने आवेदन में 'शिशु जूनियर ' काटकर 

' शिशु सीनियर' दर्ज कर दिया और ऐसा करने की वजह भी स्पष्ट की :


" ये पिछले साल ही स्कूल आया था और मुझसे कहकर गया था , इस लिए अब अगली कक्षा में ही दाखिला होगा ."


और इस प्रकार इसकी पढ़ाई समय से पहले ही शुरु हो गई थी . और ये आगे आगे पढ़ता ही चला गया .


पर आज तो उस दिन की बात जब ये मेरे अकेले के जिम्मे था और छोटा सा ही था . उस दिन मुझे अनुभव हुआ कि कामकाजी मांओं को बच्चे सम्हालना कैसा लगता होगा .

खुद भी तैयार हुआ और बेटे को भी तैयार किया और चले कालेज दोनों के दोनों . बी ए आनर्स की क्लास में पहुंचे और मैंने बेटे को कहा :


" जा , सीमा जीजी के पास बैठ जा ."


सीमा पड़ोस में रहती थी और मेरी क्लास में पढ़ती थी उन दिनों . इस प्रकार निभ गई मेरी क्लास मेरा पाठ जो क्लास के लिए था उसका साक्षी ये छोटा वाला भी बना .

शाम को एन एस एस कैम्प में मेरी भागीदारी थी उसमें भी इसे साथ ले गया . वहां तो सभा थी लड़कियां इसे साथ ले गईं और इसे एक गीत या कहें कविता सुनाने के लिए मना लिया . इसने भी माइक पर खड़े होकर गीत सुना दिया , जो इसकी मां सिखाती रहती थी .

ऐसे इसकी जुगलबंदी रही मेरे साथ जब तक जीवन संगिनी न आ गईं .

ये उन दिनों की बातें हैं जो जब तब याद आ जाती हैं.

बनस्थली के दिनों की यादों के साथ 

प्रातःकालीन सभा स्थगित .

इति .

सुमन्त पंड़्या 

आशियाना आंगन भिवाड़ी .

10 मई 2015 .

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अपडेट 

आज फिर आशियाना आँगन , भिवाड़ी से  

 मंगलवार , दिनांक 10 मई 2016 .


#बनस्थलीडायरी के अंतर्गत लिखी ये बातें फिर से सहेजना और इन पर चर्चा चलाना मुझे ख़ास तौर से बहुत अच्छा लगता है और इसी लिए आज इस स्टेटस को फिर से चर्चा के लिए उठा रहा हूं .

ये आरोप तो लगेगा कि इन दिनों मैं कोई नई पोस्ट तो लिख नहीं रहा और पुरानी पोस्ट फिर से चला देता हूं पर मैं भी क्या करूं ये बातें कहीं लिखी दीख जाती हैं तो इन्हीं में अटक जाता हूं . औरों के साथ साथ विशेष रूप से क्षमा प्रार्थी हूं जीवन संगिनी से ;

   

सुप्रभात .


सुमन्त पंड्या .

    @ आशियाना आँगन , भिवाड़ी .

     मंगलवार 10 मई 2016 .

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आज दिन ब्लॉग पर प्रकाशित पोस्ट 

दिल्ली      १० मई    २०१७ ।

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