Wednesday, 10 May 2017

मां बाप नहीं रहते सृष्टि का नियम है : भिवाड़ी डायरी 

जैसे शिव अटल सत्य हैं वैसे ही मृत्यु भी अटल सत्य है ये कहने के लिए ही शिव दर्शन से सँवारी है ये ब्लॉग पोस्ट । जय भोलेनाथ और आगे की बात ।🔔🔔

मां बाप नहीं रहते : सृष्टि का क्रम है . 

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मां बाप नहीं रहते , सृष्टि का नियम है . मृत्यु अटल सत्य है पर मन नहीं मानता . एक प्रसंग बताता हूं जो यह सिद्ध करता है कि मां बाप कहीं नहीं जाते वो हमारे अंदर बाहर ही रहते हैं .

 ये तब की बात है जब मेरा एक पुराना दोस्त गिरधर कोई तीस चालीस साल बाद एक विवाह समारोह में मिल गया था . गिरधर की कहानी ये है कि वो कनाड़ा जा बसा और होटल व्यवसाई बन गया . भारत आया तो बेटे पोते साथ थे . पिछली मुलाक़ात के समय तो दोनों छड़े दोस्त थे .

दशकों बाद मिले तो मैंने कहा :

" जब अपन यूनिवर्सिटी में आगे पीछे साथ थे तो मेरे माता पिता थे , आज वो समय आ गया जब वो नहीं रहे , पर बच्चे हैं और अब तो मैं मानता हूं कि उनकी जगह इनने ले ली है ."

 और बात कहूं , वर्ष 2003 में ये अनायास निदान हुआ कि मैं डायबिटिक हूं , चिकित्सा और चर्या तो शुरु हुई पर मुझे दुस्वप्न भी सताने लगे , मृत्यु भय क्या होता है यह थोड़ा अहसास हुआ पर एक ही फिकर थी मुझे कि कोई अनहोनी मेरी अम्मा और भाई बहनो को न देखनी पड़े . 

बाकी तो आगे पीछे सबको जाना ही है , कितना झुल्ला हम दे सकते हैं बस इतनी सी बात है . मां बाप वो होते हैं जो मन से अपनी उमर संतान को लग जाने की दुआ करते हैं .

मां बाप का चला जाना तो सृष्टि का नियम है . ये नियम जब टूटता है और संतान पहले विदा हो जाती है तो ज्यादा दुखद होता है , वैसे ये भी कोई कहने की बात है .

मदर्स डे मनाओ या मत मनाओ आप की मर्जी.

फादर्स डे मनाओ या मत मनाओ आपकी मर्जी .

पर इन्हें जीते जी खुश रखो , हो सके तो संतान में मां बाप देख लो आप पाओगे कि कहीं नहीं गए हैं मां बाप .

प्रातःकालीन सभास्थगित.

इति.

सुप्रभात .


सुमन्त पंड़्या 

आशियाना आंगन . भिवाड़ी .

11 मई .2015 .

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अपडेट 

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फिर भिवाड़ी से आज दिनांक 11 मई 2016 .


तब सनातन सत्य पर बात कही थी और आप सब ने मेरी बात की अनुशंसा की थी , कोई कोई बात तो मन को छू लेने वाली थी उनमें .

इस पोस्ट को सहेजना है और ब्लॉग पर भी दर्ज करना है .

आज की प्रातःकालीन सभा का यही रहेगा प्रस्थान बिंदु ..

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सुप्रभात 

सुमन्त पंड्या .

@ आशियाना आँगन , भिवाड़ी 

बुधवार 11 मई 2016 .


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दिल्ली से सुप्रभात 🌻

जाने क्यों ये चर्चा ब्लॉग पर प्रकाशित होने से रह गई थी । आज इसे ब्लॉग पर प्रकाशित किए देता हूं ।

जय भोलेनाथ ।🔔🔔

गुरुवार   ११ मई २०१७ ।

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1 comment:

  1. जो बात कलेवर में जाने से रह गई
    स्वाती जोशी का विशेष आभार । स्वाती की टिप्पणी को मैंने बग़ैर अनुमति फ़ेसबुक चर्चा में जोड़ा है इस बरस प्रस्थान बिंदु के रूप में ।

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