गोविन्ददेव जी के दर्शन किए : स्मृतियों के चल चित्र
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ये तब की बात है जब सन् उन्नीस सौ अस्सी में हम लोग नाहर गढ़ की सड़क पर अपने शहर वाले घर में रहा करते थे और चौगान स्टेडियम में एक ऑटोमेटिक दूध डेयरी लग चुकी थी .
प्रसंग का उल्लेख करने के पहले अपनी दिनचर्या और आदतों के बारे में भी बताता चलूं . रात को मैं जल्दी फ्यूज हो जाता था और सुबह मेरी भोर बहुत जल्दी हो जाया करती थी , कभी कभी तो सुबह चार बजे ही नींद खुल जाती .
बाई द वे आजकल भी वही हो रहा है , पर वो समय तो लौट कर आने से रहा . हां ये जरूर है कि तब बच्चे छोटे थे अब बच्चों के बच्चे छोटे हैं . अपनी ही वो अवस्था नहीं रही .
अब मेरे घर में रात भर जगार रहती है . परिवार के अन्य सदस्य सोने की तैयारी कर रहे होते हैं तब तक मेरे उठने का समय हो जाता है , पर ऐसे सम्मेलन होते ही थोड़े दिनों के लिए हैं . बाकी समय आदतों के मामले में जीवन संगिनी अनुपस्थित सदस्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं और सोने जागने का आलम वो का वो रहता है . खैर ...
तो बात सन अस्सी की करें.
एक दिन की बात :
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सुबह इतना जल्दी नींद खुल गई कि शायद चार ही बजे होंगे . मैं तो आदतन उठकर चौगान स्टेडियम चला गया दूध लेने . हालत ये कि डेयरी वालों ने डेयरी खोली ही नहीं थी . अब मैं क्या करता , कुछ विचार करके चौगान स्टेडियम में डोलने लगा . इसी दौरान कुछ डोकरियां * डेयरी के पास वाले द्वार से घुसकर गोविन्द देव जी के जाने वाले पैदल मार्ग पर आगे बढ़ने लगीं . उनमें से एक ने मुझसे पूछा :
" भाया जी दरसण हो जायला कांई . ? "
(भैया जी दर्शन हो जाएंगे क्या ?)
मुझे उन्होंने वहां डोलता देखकर जो कुछ भी समझा हो क्योंकि मैं तो डेयरी का ग्राहक था , दर्शन की न तो कोई योजना थी और न था विचार पर मैंने उन वृद्धाओं को अपनी और से आश्वत कर दिया और कहा :
" हो जायला माजी , बेगा बेगा चालो."
(हो जाएंगे मां जी , जल्दी जल्दी चलिए )
मैंने कोरा आश्वासन नहीं दिया , मैं भी गोविन्द की दिशा में बढ़ लिया ये देखने कि मैं सही बोला कि गलत .
* वृद्धाएं .
शायद मुझे गाविंद ने बुलाया था .
अब ये गोविन्द से मित्रता की परम्परा का निर्वाह जीवन संगिनी करती हैं और मैं उनकी आस्था का आदर करता हूं .
प्रातःकालीन सभा स्थगित .
इति .
समर्थन और Manju Pandyanju Pandya.
सुमन्त
जयपुर .
21 मई 2015 .
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अपडेट :
आज फिर शिवाड़ एरिया जयपुर से
आज फिर जयपुर में शिखर सम्मलेन के निमित्त बच्चे आए हुए हैं और ऐसे में ये संस्मरण फिर एक बार दिखा रहा है फेसबुक तो इसे चर्चा के लिए प्रकाश में ले आते हैं .
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सुप्रभात :
सुमन्त पंड्या .
@ गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .
शनिवार 21 मई 2016 .
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दिल्ली से अपडेट और प्रकाशन आज सोमवार २२ मई २०१७ को ।
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