छींट की कमीजों की कहानी .
#बनस्थलीडायरी #sumantpandya
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गए दिनों राजा पार्क के वीअर हाउस में कोई एक कमीज बदलवाने गए हम लोग .साइज के हिसाब से ठीक कमीज लेनी थी . कुछ ऐसी थी कमीज जैसी नेल्सन मंडेला पहने दीखते थे . बहुतेरीे कमीजें काउंटर पर बखेर कर युवक ने पूछा :
"किसके लिए चाहिए ?"
मैंने अपनी ओर इशारा किया .
युवक की प्रतिक्रिया चौंकाने वाली थी . उसने एक झटके में सारी कमीज़ें काउंटर से एक ओर फेंक दी और बोला :
" आपके लिए मैं देता हूं कमीज , आपके माफ़िक "
उसने तमाम छींट की कमीजें फेंक कर पांच कमीज सामने रख दी जो या तो चैक की थी या थी धारीदार . वो बोला :
" अंकल , ये हैं आपके लिए , देखिए ."
जीवन संगिनी* साथ थीं ही . मैंने भी कह दिया :
"इन्हीं में से एक आप छांट देओ , आखिर लड़के ने मेहनत करके ये पांच छांटी हैं ."
सर्वानुमति बन गई और एक चैक की कमीज ले ली गई .
छींट की कमीज रद्द हो गई पर एक पुरानी बात याद हो आई .
सत्तर के दशक में बातिक प्रिंट की दो कमीज मैंने बनवा ली थी - एक की लाल छींट थी , एक की काली छींट . गोपाल टेलर उन दिनों मेरे कपड़े सिल देता था . मैंने इतना कहा था:
" वो बकरी के कान जैसी कालर बना देना ."
बन गई कमीजें पहनी भी गईं पर एक दिन जब मैं क्लास में बोलने को खड़ा हुआ तो लड़कियां हंसने मुस्कराने लगीं .
तब पता चला मैं और कई एक लड़कियां यकसां छींट की कमीज पहने थे .
आखिर मेरा पहनावा कुछ तो अलग हो .
समेट कर ट्रंक में रख दी वो कमीज ये तो तब की बात है .
इस बार तो दूकान पर ही रद्द हो गई छींट की कमीज .
ये अब की बात है .
*Manju Pandya.
प्रातःकालीन सभा स्थगित .
इति.
सुमन्त पंड़्या
(Sumant Pandya)
आशियाना आंगन , भिवाड़ी .
2 मई 2015.
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अपडेट
आज जयपुर से दिनांक 2 मई 2016 .
------- 😊 अब ये कोई बात हुई कि लड़का लोग तो छींट की कमीज भी पहन लेवें तो कोई हरज नहीं और अपन तो अब चैक की और न तो धारीदार कमीज ही पहनें . जब उमर थी तो मर्यादा ने बदलवा दी कमीज और अब ऐसीे कमीज पहनने की उमर नहीं रही .
सोचता हूं फिर जाऊंगा बाज़ार , लाऊंगा छींट की कमीजें और पहन के घूमूंगा शिवाड़ एरिया में , उमर का क्या है .
व्यापक विचार विमर्श के लिए फिर एक बार प्रचारित और #बनस्थलीडायरी के अंतर्गत संकलित ये पोस्ट .
😊😊
सुप्रभात
सुमन्त पंड्या .
@ गुलमोहर , शिवाड़ एरिया , बापू नगर , जयपुर .
सोमवार 2 मई 2016
आज दिन पोस्ट का सचित्र प्रकाशन
डूंगरपुर से
मंगलवार २ मई २०१७ ।
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